जा री प्यारी हवा तू जा
बादल से तू पूछ के आना
धरती पर कब बरसेगा वो
जल्दी से आ के बतलाना।
धीरे धीरे मत जाना तुम
सर्र सर्र करती उड़ जाना
इधर उधर मत राह भटकना
बात बता के जल्दी आना।
प्यार से कहना बादल भइया
प्यासी धरती तड़प रही
सूरज भी है आग उगलता
कब तक है उसको सहना।
खेत गांव सब सूख रहे
किसानों के चेहरे मुरझाये
पशु पक्षी भी प्यासे प्यासे
भूले वो भी चहचहाना।
विनती करना तुम बादल से
सूरज को समझा दे जरा
इतनी अकड़ भी ठीक नहीं
कि हद से ज्यादा गुजर जाना।
रिमझिम बारिश की फ़ुहारें
जब सूरज को भिगोयेंगी
भीज उठेगा उसका तन मन
प्यार से उसको समझाना।
प्यार ही एक ऐसी भाषा
जिसे पशु पक्षी भी समझते हैं
बादल के संग सूरज को भी तुम
प्यार की झिड़की दे आना।
फ़िर देखो कैसे नहीं छायेंगी
बादल की घनघोर घटाएं
सूरज भी अपना रुख बदलेगा
जब छेड़ेगी बारिश अपना तराना।
भूल ना जाना उनको तुम
धन्यवाद देती आना
इंतजार बेसब्री से तुम्हारा
समाचार शुभ ले आना।
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पूनम
33 टिप्पणियां:
प्यार ही एक ऐसी भाषा
जिसे पशु पक्षी भी समझते हैं
वाकई इस भाषा के आगे सबको नतमस्तक होना पड़ता है.
सुन्दर रचना
प्यार भरा सुन्दर सन्देश जरूर हवा पहुँचा देगी।प्रकृ्ति मे ही शक्ति है इस प्रेम को समझने की। सुन्दर कविता के लिये बधाई
pyar ki bhasha se hawawo ne sandesha diya ,fir kya tha aaj pani barshana shuru ho gaya.
mausham suhana ho gaya.
bahut sundar kabita .
samyanukul
आहा! सुबह सुबह कितनी अच्छी कविता पढने को मिली है..... बहुत सुंदर सन्देश के साथ .... यह कविता बहुत अच्छी लगी..... अभी सो कर उठा था..... रिफ्रेश हो गया.... बहुत अच्छी कविता.....
गुड मॉर्निंग....
समसामयिक और एक सन्दर संदेश देती रचना पूनम जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
इतनी अकड़ भी ठीक नहीं ही हद से ज्यादा गुजर जाना... मजेदार
जैसे बच्चे आपस में झगड़ रहे हो....
waah bahut sundar..
प्यारा सन्देश भेजती सी सुन्दर रचना...
वाह..बहुत प्यारी सी रचना!
प्रकृति का सोंधा चित्रण ।
barish ka pyar bhara samjhana bha gaya hame........:)
sundar abhivyakti........:)
सुन्दर रचना...
सुंदर संदेश !
बधाई !
प्यारा सा संदेश ... बरखा रानी ज़रूर आएगी ...
Garmi me pyase ki aas kya...paani,
tan-man bhigota sapana kya...paani,
man ki jo hai lagan vo kya...paani
basarat survaati daur me yeh man me baarish ki fuhaare barasaa gayi
laajawaab hai.... shabd nahi hai
barsaat ka nimantrn lajawab raha...
वाह !कितनी मनभावन कविता
बहुत सुन्दर......
इस कविता को पढ़कर एक भावनात्मक राहत मिलती है।
वाह !!! ...लाजवाब कविता .
आपके संदेश का असर हो गया ,मुम्बई में बारिश शुरू हो गई है ।
इतनी मनुहार !!!!!!और वो भी हवारानी से ! बहुत खूब ....., सचमुच धरती को पल पल इंतजार है प्यारे बादलों का ।
sunder pyari si kavita,badhai.
प्रतीक्षा हो तो ऐसी , थोड़ी बारिश , थोड़ी बूंद , थोड़ी हवा.... प्रकृति के बेहद करीब॥
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है माता जी....
मेरे ब्लॉग पर उत्साहवर्धन करने का बहुत बहुत धन्यवाद
प्यार ही एक ऐसी भाषा जिसे पशु पक्षी भी समझते हैं
बादल के संग सूरज को भी तुम प्यार की झिड़की दे आना।
फ़िर देखो कैसे नहीं छायेंगी बादल की घनघोर घटाएं
सूरज भी अपना रुख बदलेगा जब छेड़ेगी बारिश अपना तराना।
बेहद ख़ूबसूरत रचना...एकदम प्यार भरी बदली जैसी...
Bahut Sundar Kavita and really very nice..Regards
The Lines Tells The Story of Life....Discover Yourself
koi lglpet nhi ,chhote chhote shbd srl bhasha ,prakritik shjta liye huye is atisunder prstuti ke liye bhut bhut bdhai .
प्यार की झिड़की दे आना।!!
इतनी सुंदर प्यार की झिडकी सुन कर कौन नहीं आ जायेगा !! आह्किर कालिदास ने भी तो मेघ को प्यार की भाषा से ही अपना दूत बनाया था ! मन को मोहती है आपकी सहज सरल अभिव्यक्ति ! धन्यवाद !
बहुत प्यारी और दिल को
सुकून देने वाली रचना ||
बहुत खूब !!
बहुत भाव पूर्ण कविता | बधाई
आशा
पूनम जी,
नमस्ते!
आम आदमी की भाषा में आम आदमी के दिल की बात!
अब तो बरसो............
टूट के बरसे इस बार पानी!
बह जाएँ उसमें सभी यादें पुरानी!
कुछ ऐसा बदले मेरे मन का मौसम!
लिख ही डालूँ कोई नयी कहानी!
bahot hi badhiya rachana hai,
lagata hai shayad aapki rachana sunkar hi baarish aab aakhir aa gayee!
Thanks to you!
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