तुम मुझे मिले
अचानक से तो
जाने कब के देखे
ख्वाब दिल की
गलियों से निकल कर
आंखों के सामने लहराने लगे।
बगैर ये मालूम किये
कि तुम
मेरी नहीं किसी और
के सपनों की दुनिया को
अपने साथ सजाने के लिये
सिर्फ़ मेरा साथ
भर मांगने आये थे।
और मैं अवाक सी
होकर तुम्हें भावशून्य
नजरों से यूं देखने लगी
मानो मेरे सामने कोई
दीवार खड़ी है
और तुम भी मुझे
इस तरह देखता देखकर
चले गये यूं
मानो तुम्हारा उत्तर
तुम्हें मिल गया।
और फ़िर मैं भी
पागलों की तरह
आसमान को यूं ही
देखने लगी जैसे
मेरे सारे अरमान
उसी आसमां में
बादलों के साथ
उमड़ घुमड़ कर
यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो
और उसका अस्तित्व
तुरंत मिट गया हो।
000
पूनम
42 टिप्पणियां:
मेरे सारे अरमान
उसी आसमां में
बादलों के साथ
उमड़ घुमड़ कर
यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो
-सुन्दर.
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
सुंदर अभिव्यक्ति ।
मेरे सारे अरमान
उसी आसमां में
बादलों के साथ
उमड़ घुमड़ कर
यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो ...
सच कहा ... किसी की बेवफ़ाई से क्या क्या हो सकता है ... दिल के जज्बातों को बाखूबी लिखा है ....
कितना सामयिक है यह रचना
बादलो के साथ अरमानो का गायब होना
बहुत खूब
बेहतरीन भावाव्यक्ति।
कल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
मेरे सारे अरमान आसमां में बादलों के साथ उमड़ घुमड़ कर यूं गायब हुये जैसे जलते तवे पर किसी ने पानी के छींटे मारे हो और उसका अस्तित्व तुरंत मिट गया हो।
.....dil mein umadti-ghumadti vyatha ka bhavpurn chitran...
Marmsparshi rachna
मानवीय भावों को प्राकृतिक प्रतीकों से सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है।
यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो
और उसका अस्तित्व
तुरंत मिट गया हो।
--बहुत जबरदस्त!! गजब!
खामोश सा दर्द और अनचाही सज़ा !
" यूं गायब हुये जैसे जलते तवे पर किसी ने पानी के छींटे मारे हो और उसका अस्तित्व तुरंत मिट गया हो।"
सुन्दर भाव बेहतरीन शब्द संयोजन.जीवन के सत्य का एक पहलू. बेहतरीन अभिव्यक्ति
पूनम जी बहुत सुंदर भाव हैं। पर मुझे ऐसा लगता है कि यह एक नहीं दो कविताएं हैं। आपकी कविता का पहला भाग वहां समाप्त हो जाता है जहां आप कहती हैं तुम्हारा उत्तर तुम्हें मिल गया।
अच्छी प्रस्तुति।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ... सुंदर रचना...
कबिता बहुत ही गहराई लिए हुए है.
अति सुन्दर
धन्यवाद
Wah bahut sunder...!
antim laine hi kavita ki jaan hain!
baki kavita aur uske bhav done badut achchhe hain!
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो
और उसका अस्तित्व
तुरंत मिट गया हो।
khubsurat
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो
और उसका अस्तित्व
तुरंत मिट गया हो।
अति सुन्दर !
Atyant bhavpurn aur bimbon ka bahut sundar prayog.badhai.
मन के भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति .
बहुत अच्छी कविता है.
अंतिम पंक्तियाँ बहुत प्रभावशाली ...खूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
bahut hi manbhawan panktiyaan hai!
badhai!!
बहुत ही सुन्दर...
कि तुम मेरी नहीं किसी और के सपनों की दुनिया को अपने साथ सजाने के लिये सिर्फ़ मेरा साथ भर मांगने आये थे..
यूँ आना और चला जाना कि नजरें बस पीठ पर ही टिकी रहे ...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...!
भावुकता मे डूबकर लिखा आपने .........
mn meiN kaheeN
gehre utar jaane waali
bhaavpoorn rachnaa
पूनम जी . कविता विलक्षण है ।
प्रशंसनीय ।
बहुत ही ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!
hi..
jo man se tera na tha..
wo tera kaise hoga...
sang raha ho wo beshak par...
saath nahin tere hoga...
Deepak
samay mile to mere blog par bhi darshan den kabhi...
www.deepakjyoti.blogspot.com
Deepak
इस सुन्दर भावाभिव्यक्ति से परिपूर्ण रचना को कुछ और तराश की जरूरत थी
i liked it..?
खूबसूरत रचना ...
यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो ...
ye panktiya bahut kuch kah gayee .......
sunder lekhan .
मेरी नहीं किसी और
के सपनों की दुनिया को
अपने साथ सजाने के लिये
सिर्फ़ मेरा साथ
भर मांगने आये थे।.....बहुत सुन्दर पंग्तियाँ पूनम जी .
bahut hi achhi aur rochak rachna...
badhai....
bahut bahut shukriya aapka ki aap ne mujhe itna appericiate kiya hai..thanx again :)
आपने तो बिलकुल मेरी दिल की हालत शब्दों में बयां कर दी है.
ख्वाब दिल की
गलियों से निकल कर
आंखों के सामने लहराने लगे।
बहुत सुंदर...
एक टिप्पणी भेजें