तुम्हारी
याद मे आंसू आंखों से छलकते हैं,
सावन
के बारिश ज्यूं मेघों से बरसते हैं।
तुम
जो गये तो बस दिल ही टूट गया,
वो
जिगर कहाँ से लाऊँ जो पत्थर के होते हैं।
चौबीस
पहर तस्वीर तेरी इन आंखों में बसती हैं,
मिटाऊँ
कैसे उनको जो नज़रों से ओझल नही होते हैं।
दिलासा
देते तो जाते हो की जल्दी ही आऊँगा,
और
हम इन्तज़ार में पल-पल फ़िर गिनने लगते हैं।
बिन
तुम्हारे ज़िंदगी अधूरी सी लगती है,
अब
के आकर ना जाना वादा इक तुमसे लेते हैं।
आयेगा
खत का जवाब यही ख्वाब देखते हैं,
इसी
उम्मीद को दामन से लिये हम तो जीते हैं।
000
पूनम
19 टिप्पणियां:
बढ़िया प्रस्तुति |
बधाई पूनम जी -
मैंने देखा जब 'झरोखे' से तो-
इन्तजार में जी रहे, अश्रु-पान के संग |
"पूनम" की यह चांदनी, राहू-केतु से तंग ||
वाह ,,, बहुत बेहतरीन गजल ,,,बधाई पूनम जी,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
वाह बहुत सुन्दर गज़ल..पूनम जी,
बिन तुम्हारे ज़िंदगी अधूरी सी लगती है,
अब के आकर ना जाना वादा इक तुमसे लेते हैं।
सुंदर प्रस्तुति.
तुम्हारी याद मे आंसू आंखों से छलकते हैं,
सावन के बारिश ज्यूं मेघों से बरसते हैं।
बहुत सुन्दर !
बढिया है
वाह पूनम जी बेहद खुबसूरत ग़ज़ल
(अरुन = arunsblog.in)
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ति..
Dil ko chhuti sundar rachna :)
बेहतरीन ग़ज़ल
आयेगा खत का जवाब यही ख्वाब देखते हैं,
इसी उम्मीद को दामन से लिये हम तो जीते हैं।
बहुत खूब
बहुत खूबसूरत गजल
वाह ...बहुत खूब।
तुम जो गये तो बस दिल ही टूट गया,
वो जिगर कहाँ से लाऊँ जो पत्थर के होते हैं...
बहुत उम्दा ... उनके जाने के गम से तो पत्थर के दिल भी रो उठेंगे फिर इंसान की क्या बात ... लाजवाब शेर हैं सभी ...
बहुत सुंदर ...उम्मीद जगाती रचना ...
पूनम से निराशा नहीं झलकनी चाहिए..
कल 20/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत मुश्किल सा दौर है ये
तुम्हारी याद मे आंसू आंखों से छलकते हैं,
सावन के बारिश ज्यूं मेघों से बरसते हैं।
तुम जो गये तो बस दिल ही टूट गया,
वो जिगर कहाँ से लाऊँ जो पत्थर के होते हैं।
मन को उद्वेलित करने वाली सुन्दर गजल....
अनुपम भाव .
.. बेहतरीन प्रस्तुति।
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