मंगलवार, 17 जुलाई 2012

सीख

जला जला कर खुद को,खाक करते हो क्यूं।
ज़िन्दगी अनमोल खजाना,जीना तो सीख लो।

देख कर औरों की खुशियां कुढ़ते हो क्यूं
गैरों की खुशी में भी,हंसना तो सीख लो।

रास्ते मंजिलों के,आसान ढूंढ़ते हो क्यूं
मुश्किलों का सामना,करना तो सीख लो।

छूने को आसमान की हद,कोशिश करो जरूर
पहले पांव को जमीं पर,जमाना तो सीख लो।

अपने को गैरों से,ऊंचा समझते हो क्यूं
एक बार खुद को भी कभी,आंकना तो सीख लो।

तक़दीर को ही हर कदम पर,कोसते हो क्यूं
रह गई कमी कहां पे है,जानना तो सीख लो।

कर के भरोसा दूसरों पे,पछताते हो क्यूं
बस हौसला बुलंद करना,खुद का तो सीख लो।

बात सिर्फ़ इतनी सी है,जीवन फ़कत पाना ही क्यूं,
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लो।
 000
पूनम


29 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत खूब ..
एक नजर समग्र गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष पर भी डालें !!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर
अच्छी रचना

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बेहतरीन

kavita verma ने कहा…

sundar rachna..

Shalini kaushik ने कहा…

सार्थक व् सुन्दर प्रस्तुति आभार समझें हम

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर सार्थक रचना,,,,

RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

काम के सूत्र... सबको सीखने चाहिए

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह...
बहुत सुन्दर पूनम जी...

सस्नेह
अनु

amit kumar srivastava ने कहा…

ज्ञान वर्धक और पुष्ट कारक रचना |

Sunil Kumar ने कहा…

सही कहा आपने, आपसे सहमत ......

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

waah kya baat hai....aaj ki generation to kya sabko ek seekh deti ufanti hui si rachna.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 19/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

निर्मला कपिला ने कहा…

सार्थक सीख।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही उत्साहवर्धक रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

Maheshwari kaneri ने कहा…

छूने को आसमान की हद,कोशिश करो जरूर
पहले पांव को जमीं पर,जमाना तो सीख लो।..वाह: बहुत सुन्दर..पूनम जी..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

छूने को आसमान की हद,कोशिश करो जरूर
पहले पांव को जमीं पर,जमाना तो सीख लो ...

बहुत खूब ... सुन्दर शेर है इस सीख का ... कुछ बातें जीवन में सीखनी चाहिए ...

shikha varshney ने कहा…

देख कर औरों की खुशियां कुढ़ते हो क्यूं
गैरों की खुशी में भी,हंसना तो सीख लो।
इतना ही कोई सीख लो तो बात ही क्या ..
बहुत सुन्दर रचना है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है, कितना कुछ सीखना शेष है इस जीवन में।

सदा ने कहा…

कर के भरोसा दूसरों पे,पछताते हो क्यूं
बस हौसला बुलंद करना,खुद का तो सीख लो।

बात सिर्फ़ इतनी सी है,जीवन फ़कत पाना ही क्यूं,
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लो।
गहन भाव लिए ... प्रेरणात्‍मक विचारों के साथ उत्‍कृष्‍ट लेखन ...आभार

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर
बेहतरीन रचना...

Amrita Tanmay ने कहा…

उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..

रचना दीक्षित ने कहा…

देख कर औरों की खुशियां कुढ़ते हो क्यूं
गैरों की खुशी में भी,हंसना तो सीख लो।

बहुत सुंदर जीवन के सिद्धांत इस कविता में समोए है. सुंदर प्रस्तुति.

धन्यबाद.

शिवनाथ कुमार ने कहा…

सुंदर सीख देती कविता
प्रेरक पंक्तियाँ
सादर !!

Saras ने कहा…

तक़दीर को ही हर कदम पर,कोसते हो क्यूं
रह गई कमी कहां पे है,जानना तो सीख लो।
...बहुत ही सच्ची बात कही है ...अगर हम ऐसा करलें ....तो शायद जीवन की नेयमतों को पहचानना और उनका शुक्रिया अदा करना सीख लें

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक सीख देती अच्छी प्रस्तुति

Satish Saxena ने कहा…

जीना तो सीख लो....

काश ..

Suresh kumar ने कहा…

वाह..... बहुत सुन्दर....

Asha Joglekar ने कहा…

बेहद सुंदर पूनम जी । हौसला बढाना, अपनी कमी को पूरा करना,औरों की खुशियों में शऱीक होना, इन छोटी छोटी पर महत्वपूर्ण बातों से जिंदगी खुशगंवार हो जायेगी ।

gunjan kumar ने कहा…

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