बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

उम्मीदें


दिल में तूफ़ानों का सैलाब है मगर
फ़िर भी होठों पर हसीं-मुस्कान लिये हैं।

नाव मझधार में फ़ंसी है मगर
फ़िर भी उम्मीदों की पतवार लिये हैं।

शरीर थक रहा है धीरे धीरे मगर
फ़िर भी अरमानों का आगाज लिये हैं।

भीगी भीगी आंखों से देख रही राह मगर
फ़िर भी वो आएगा या नहीं इंतजार लिये हैं।
000
पूनम





12 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उम्मीद पर दुनिया कायम है ... सुंदर प्रस्तुति

Dinesh pareek ने कहा…

हर शब्द की आपने अपनी 2 पहचान बना दी क्या खूब लिखा है "उम्दा "
वहा वहा क्या खूब लिखा है जी आपने सुबान अल्ला
मेरी नई रचना

प्रेमविरह

एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .दामिनी गैंगरेप कांड :एक राजनीतिक साजिश ? आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत लाजबाब सुंदर रचना,,,

Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गतिमय जीवन के लक्षण हैं,
हम स्थिर एकान्त जी रहे।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आशा की किरण में ही जीवन पल्ल्वित होता रहता है, बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

अच्छी रचना
बहुत सुंदर

केवल राम ने कहा…

बेहतर रचना ....!!!

Vinay ने कहा…

दीपक की तरह प्रज्जवलित

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मन को झंकृत करती रचना...

बधाई।

.............
सिर चढ़कर बोला विज्ञान कथा का जादू...

Dinesh pareek ने कहा…

आनंद आनंद बहुत अच्छा अभूत
मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है

बेनामी ने कहा…

अद्भुत,, शुभकामनाएं|