जिन्दगी इक बोझ सी
लगने लगती है जब
जिन्दगी का रुख अपनी
तरफ़ नहीं होता
व्यर्थ और निरर्थक
पर तभी अचानक से
रुख पलट जाता है
खुशियों के कुछ
संकेतों से
और फ़िर
हम जिन्दगी से
प्रेम करने लगते हैं
और चल पड़ती है
जिन्दगी
खुशियों का निमन्त्रण पाकर
आगे मंजिल की तरफ़
एक अन्तहीन यात्रा पर
उल्लास से भरी।
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पूनम श्रीवास्तव


