बुधवार, 25 मई 2016

गीत

खिल रही कली कली
महक रही गली गली
चमन भी है खिला खिला
फ़िजा भी है महक रही।

दिल से दिल को जोड़ दो
सुरीली तान छेड़ दो
प्रेम से गले मिलो
हर जुबां ये कह रही।

कौन जाने कल कहां
हम यहां और तुम वहां
पल को इस समेट लो
वक्त मिलेगा फ़िर कहां।

मिलेगी सबको मंजिलें
नया बनेगा आशियां
कदम कदम से मिल रहे
कारवां भी चल पड़ा।
000

पूनम श्रीवास्तव

2 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 27/05/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत बढ़िया