गुरुवार, 15 जनवरी 2009

माँ


मां है अगर तो समझो जीवन
सबका सुखमय बीता
मां का आंचल मिला न जिसको
उसका जीवन रीता।

उंगली पकड़ चलना सिखलाये
वात्सल्य स्नेह और ममता
मां को पल भर चैन न आए
यदि बच्चा करवट लेता.

जब मां की दुआएं साथ रहें
तो हर संकट टल जाता
ले लेती वो सारी बालाएं
जो उसके सम्मुख आतीं।

मां ही शक्ति मां ही भक्ति
मां ही मन की ज्ञाता
मां के चरणों का वंदन ही
तीरथ धाम कहाता।

मां बच्चे का प्यार अनूठा
जो रोम रोम में बहता
नहीं दिखाई देता इसके
जैसा दूजा रिश्ता।
************
पूनम

11 टिप्‍पणियां:

के सी ने कहा…

achchi lagi

रश्मि प्रभा... ने कहा…

maa ke pyaar ko motiyon ki tarah sanjoya hai,maa ki zindagi ko jiya hai.......bahut achha lagta hai aapko padhna.........

Himanshu Pandey ने कहा…

पहली बार देखा आपका चिट्ठा. अच्छा लगा.
कविता तो सुन्दर है ही, उसके पीछे की भावना बड़ी सुन्दर है. धन्यवाद.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

यह मात्र कविता नही है एक वंदना है एक प्रार्थना है /संध्या समय दियाबत्ती की विरियाँ पाठ करने योग्य

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Ponam ji,
Bahut..bahut ...hee sundar ,bhav poorna evam man ko chhoo lene valee kavita likhi hai apne.Meree hardik shubhkamnayen.

Prem Farukhabadi ने कहा…

Poonamji,
mere lekh par apne jo samalochna dii,uske liye aapka dhanyabad.

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut achhi lagi isi liye to maa ko mahaan kahaa gayaa hai

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बेहतरीन रचना के लिये आप को बधाई

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

माँ का प्यार अनोखा है माँ जैसा कोई न दूजा है
जिस तरहां आपने अपनी भावों को दर्शाया है अति सुंदर

अक्षय-मन

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी ने कहा…

मां से बड़ा और कौन है। मुझे मेरी मां की याद आई।

बेनामी ने कहा…

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति