जख्म जाने कब के भर गए होते
यदि बार बार उनको कुरेदा न जाता।
बात बनती हुयी यूँ बिगड़ती नहीं
यदि बार बार उसको बढाया न जाता।
गैरों से अपनेपन का एहसास ही न होता
यदि बार बार अपनों ने ठुकराया न होता।
हंसती हुयी जिंदगी यूँ वीरान न होती
यदि बार बार उसको रुलाया न जाता।
विरहन की आस यूँ ही न टूटती
यदि बार बार उसको भरमाया न जाता।
कसौटी पर जिंदगी के खरा उतरता न कोई
यदि बार बार उसको आजमाया न जाता।
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पूनम
यदि बार बार उनको कुरेदा न जाता।
बात बनती हुयी यूँ बिगड़ती नहीं
यदि बार बार उसको बढाया न जाता।
गैरों से अपनेपन का एहसास ही न होता
यदि बार बार अपनों ने ठुकराया न होता।
हंसती हुयी जिंदगी यूँ वीरान न होती
यदि बार बार उसको रुलाया न जाता।
विरहन की आस यूँ ही न टूटती
यदि बार बार उसको भरमाया न जाता।
कसौटी पर जिंदगी के खरा उतरता न कोई
यदि बार बार उसको आजमाया न जाता।
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पूनम
15 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर रचना और भाव तो दिल को छू जाते हैं।
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
कसौटी पर जिंदगी के खरा उतरता न कोई
यदि बार बार उसको आजमाया न जाता।
.............सुंदर पंक्तियाँ। अच्छी लगीं।
जितना जख्म कुरेदोगे, उतना ही दर्द बढ़ेगा।
बना-बनाया खेल पलक झपकाते ही बिगड़ेगा।
कसौटी पर जिंदगी के खरा उतरता न कोई
यदि बार बार उसको आजमाया न जाता।
....बहुत सही........
बहुत उत्तम रचना है !
अच्छे भाव, कमजोर शिल्प. यह ग़ज़ल तो नहीं है. मतले-मकते, काफी-रदीफ़ की जानकारी कर ग़ज़ल लिखेगी तो अधिक सराहना पाएंगी. अन्यथा न लें...
दर्द शब्दों की माला बनकर उभरा है।
अपने मन के भावों को शब्दों की माला में पिरोना आसान काम नहीं, खुशी की बात यह है कि आप इसमें सिद्धहस्त हैं।
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SBAI TSALIIM
कसौटी पर जिंदगी के खरा उतरता न कोई
यदि बार बार उसको आजमाया न जाता।
बहुत अच्छी रचना है पूनम जी.
अनुभव भी ,हकीकत भी और शिक्षा भी / वाकई जख्मों को कुरेदा न जाये तो जल्द भर जाते हैं लेकिन ( तुम्हारी याद के जब जख्म भरने लगते हैं ,किसी बहाने तुम्हे याद करने लगते हैं )
बार बात बात को बढाया न जाये तो बिगड़ती नहीं है और यह भी सही है कि जब अपने उपेक्षा करते है तो दूसरों से ही अपनेपन का अहसास होता है /बार बार रुलाने पर वास्तव में हंसती हुई जिंदगी बर्बाद हो जाती है / सही है सोना तप कर ही कुंदन बनता है ,विरहन वाली लाइनों पर टिप्पणी नहीं दे रहा हूँ क्योंकि व्यक्ति टिप्पणी देते वक्त अपना मत, अपने विचार प्रकट करने लगता है जो कि सबके भिन्न भिन्न होते है /रचना कार की रचना में प्रयुक्त शब्द ,भावः ,अलंकार ,उपमा .वास्तविकता देखी जाये तो ठीक जरूरी नहीं कि टिप्पणी कर्ता के विचार लेखक से मिलते ही हों /
्दर्द से सामना कोई आसान बात नही है। दर्द की अ्भिव्यक्ति बहुत सुन्दर है। बधाई। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत उठाए।
सच्चाई के करीब पंक्तियाँ. बधाई.
yahi to duniya hai ji.
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! आपने बहुत ही सुंदर रचना लिखा है!
कसौटी पर जिंदगी के खरा उतरता न कोई
यदि बार बार उसको आजमाया न जाता।
very nice,...
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