बुधवार, 1 जुलाई 2009

ग़ज़ल


दीदारे यार होने का जरा जश्न तो मनाने दो,
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।

बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये।

पर खुदा ने भी इनायत की मेहरबां हुआ हम पर,
मोहलत इतनी दे ही दी तमन्ना अधूरी न रह जाये।

कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।
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पूनम

15 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दीदारे यार होने का जरा जश्न तो मनाने दो,
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।

aah.... apki lajawaab rachna jashn ही manaa रही है...........khoobsoorat है आपकी rachna

satish kundan ने कहा…

बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये...बहुत खुबसूरत पंक्तियाँ....बधाई!!!!! मैंने भी एक नई पोस्ट डाली है आपका स्वागत है.........

Vinay ने कहा…

बहुत ख़ूब, सुन्दर कृति

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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE

Urmi ने कहा…

इतना ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने कि मैं तो निशब्द हो गई! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!

Razi Shahab ने कहा…

sundar bhav

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।

बहुत अच्छी नज़्म ....!!!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

Haan ' first news'mein bhi aapki nazm padhi ....aur sanjay sanam ji se bhi milna hua ....!!

Poonam Agrawal ने कहा…

Ati sunder abhivyakti hai aapki......badhai

Alpana Verma ने कहा…

'बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये'

वाह!बहुत खूब पूनम जी!
क्या बात है!
सभी शेर अच्छे हैं.

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut sundar gazal ....

lajawaab sher ,umda lekhan hai ji

meri badhai sweekar karen..
Aabhar
Vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html

Shruti ने कहा…

bahut khoob kaha hai aapne..

hem pandey ने कहा…

'दीदारे यार होने का जरा जश्न तो मनाने दो,
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।'

- सुन्दर. साधुवाद

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये.

बहुत ही सुन्दर बात सुन्दर शब्दॊं में

मै अगर कुछ कह पाऊं तो इतना के,

"गर तू खुदा तो मुझे सीने से लगता,
अब,रुठ कभी,हम भी मनाने न आयेंगें."

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shama ने कहा…

Alfaaz nahee hain...! Harek rachna sundar...alag aur utnee hee manbhavan..!

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mehek ने कहा…

पर खुदा ने भी इनायत की मेहरबां हुआ हम पर,
मोहलत इतनी दे ही दी तमन्ना अधूरी न रह जाये।

कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।
waah behtarin