दीदारे यार होने का जरा जश्न तो मनाने दो,
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।
बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये।
पर खुदा ने भी इनायत की मेहरबां हुआ हम पर,
मोहलत इतनी दे ही दी तमन्ना अधूरी न रह जाये।
कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।
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पूनम
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।
बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये।
पर खुदा ने भी इनायत की मेहरबां हुआ हम पर,
मोहलत इतनी दे ही दी तमन्ना अधूरी न रह जाये।
कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।
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पूनम
15 टिप्पणियां:
दीदारे यार होने का जरा जश्न तो मनाने दो,
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।
aah.... apki lajawaab rachna jashn ही manaa रही है...........khoobsoorat है आपकी rachna
बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये...बहुत खुबसूरत पंक्तियाँ....बधाई!!!!! मैंने भी एक नई पोस्ट डाली है आपका स्वागत है.........
बहुत ख़ूब, सुन्दर कृति
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
इतना ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने कि मैं तो निशब्द हो गई! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
sundar bhav
कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।
बहुत अच्छी नज़्म ....!!!
Haan ' first news'mein bhi aapki nazm padhi ....aur sanjay sanam ji se bhi milna hua ....!!
Ati sunder abhivyakti hai aapki......badhai
'बड़ी मुद्दत से हमको तो खुदा से ये शिकायत थी,
ये ख्वाब उनकी बेरुखी से फ़िर न खाक हो जाये'
वाह!बहुत खूब पूनम जी!
क्या बात है!
सभी शेर अच्छे हैं.
bahut sundar gazal ....
lajawaab sher ,umda lekhan hai ji
meri badhai sweekar karen..
Aabhar
Vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html
bahut khoob kaha hai aapne..
'दीदारे यार होने का जरा जश्न तो मनाने दो,
यार मेरा फ़िर कहीं पर्दा नशीं न हो जाये।'
- सुन्दर. साधुवाद
कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये.
बहुत ही सुन्दर बात सुन्दर शब्दॊं में
मै अगर कुछ कह पाऊं तो इतना के,
"गर तू खुदा तो मुझे सीने से लगता,
अब,रुठ कभी,हम भी मनाने न आयेंगें."
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Alfaaz nahee hain...! Harek rachna sundar...alag aur utnee hee manbhavan..!
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पर खुदा ने भी इनायत की मेहरबां हुआ हम पर,
मोहलत इतनी दे ही दी तमन्ना अधूरी न रह जाये।
कहते हैं खुदा तो लेता इम्तहान घड़ी घड़ी,
बन्दे की सच्ची बन्दगी को जरा वो भी तो आजमाये।
waah behtarin
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