मन भीगा भीगा क्यों है
तन भीगा भीगा क्यों है
लगता है जैसे आने वाला
हरियाली सावन है ।
मंदिर यूं सजने लगे
घंटे यूं बजने लगे
लगता है जैसे शिव शंकर का
हो रहा अर्चन है ।
बिजली यूं चमकने लगी
बादल यूं गरजने लगे
लगता है जैसे सागर का
हो रहा मंथन है ।
कोयलों का कुंजन है
भौरों का गुंजन है
लगता है जैसे सावन का
हो रहा अभिनंदन है ।
*******
पूनम
तन भीगा भीगा क्यों है
लगता है जैसे आने वाला
हरियाली सावन है ।
मंदिर यूं सजने लगे
घंटे यूं बजने लगे
लगता है जैसे शिव शंकर का
हो रहा अर्चन है ।
बिजली यूं चमकने लगी
बादल यूं गरजने लगे
लगता है जैसे सागर का
हो रहा मंथन है ।
कोयलों का कुंजन है
भौरों का गुंजन है
लगता है जैसे सावन का
हो रहा अभिनंदन है ।
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पूनम
17 टिप्पणियां:
प्यारी कविता. शायद इन्हें पढ़ कर
बादल बरर्स जाएँ .
अच्छी मौज़ू रचना
लगता है सावन मे भीग रहा हू
kavita achhi hai...
कोयलों का कुंजन है
भौरों का गुंजन है
लगता है जैसे सावन का
हो रहा अभिनंदन है ।.......वाह
संभव हो तो इस रचना को अपने स्वर में रिकॉर्ड करके भेज दें,एक छोटा परिचय भी ....
कोयलों का कुंजन है
भौरों का गुंजन है
लगता है जैसे सावन का
हो रहा अभिनंदन है
सुन्दर प्रेम रचना, मन के bhaav को kavitaa के maadhyam से utaarna भी kalaa है
bahut khubsurat rachna jo sawan ke phuharon ka ahsas kara gai..
मनभावन रचना है
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श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग
बहुत ख़ूबसूरत,प्यारी और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
फ़ोटो कविता से बाजी मार ले गया !
बिजली यूं चमकने लगी
बादल यूं गरजने लगे
लगता है जैसे सागर का
हो रहा मंथन है ।
में उपमा अलंकार है !
वाह !क्या खूब चित्रण किया है पूनम जी!
चित्र भी इतना सुन्दर लगाया है..
कविता और चित्र सावन की सुखद अनुभूति दे रहे हैं.
bahut khoobsurat...
बहुत सुंदर ख्यालात ......!!
सावन का सुंदर स्वागत ......!!
देखते हैं इन नज्मों से बदल खुश होते हैं या नहीं .....!!
sawan ki hariyali ka amantran sumadhur shabdo me abhibyakt kar tan man ko hara bhara kar diya. kishore kumar jain guwahati assam
कोयल का कुंजन ,भवरे का गुंजन |विजली का चमकना और बादल का गरजना जैसे समुद्र मंथन हो रहा हो |मन और तन के भीगने का सम्बन्ध श्रावण के आने से =बहुत बढ़िया रचना है इस प्रकार तुलना करने उपमा देने की विधा गोस्वामी जी में भी थी जहाँ उन्होंने बारिश के चातुर्मास का वर्णन किया है शायद अरण्य या किसकिन्धा कांड में
saawan ke aagaman pe sundar prastuti .saath hi bhole baba ka bhi swagat hua .uttam .
कोयलों का कुंजन है
भौरों का गुंजन है
लगता है जैसे सावन का
हो रहा अभिनंदन है ।
simply superb,manbhawan
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