पिछ्ले साल आज के ही दिन पन्द्रह फ़रवरी को मां की याद में एक कविता लिखी थी,जो आज हकीकत में बदल गई ।पिछ्ले महीने सोलह जनवरी को मां का निधन हो गया । आज अपने ही जन्म दिन पर मां को अब तस्वीरों मे देख कर कुछ बातें दिल ही दिल ही में रूला गईं।
फ़िर भी लगता है कुछ सूना
वही दीवारें वही दरवाजें जैसे
ढूंढ्ता घर का भी कोना, कोना।
लोरी सुनाती थक भी जाती
फ़िर भी नहीं खुद सोती थीं
थपकी देंती, धीरे गातीं,
जब तक मैं सो जाऊं ना।
याद आई फ़िर छूटे बचपन की,
वही रसोईं छोटी सी,
ताक पे रखे चीनी को देख मेरा वो ,
ललचा कर,फ़िर खा के जल्दी से मुँह धोना।
घी से चुपडी रखी रोटी
कुछ पतली, कुछ मो्टी-मोटी
कौन किससे पहले खाये
याद है उस प्रेम भरी टकरार का होना।
भैया बहनो संग उधम मचाना
ज़रा सी बातो पे इतराना
दिल मे प्यार आँख मे गुस्सा
याद है माँ के आँचल मे छुप के मुस्काना।
बचपन की बातें होती ऐसी
जो कभी नही मिटती दिल से
कोई बचपन से ही सीखे
संघर्षों में भी मुस्काना।
नहीं ज़रूरी सबका बचपन
एक ही साँचे में ढल जाये
किसी क बचपन महलो में बीते
किसी को मिले धरती का बिछौना।
यादें बहुत हैं बहुत सी हैं बातें
बयाँ करूँ क्या क्या और कैसे
यादों की मोती को जोडूं तो
लगे सामने है बीता जमाना।
मां तू तो ईश्वर स्वरूप है
भला तुझे मैं क्या दे सकती हूं
जो तूने आशीष दिया
वही है सपना अब पूरा करना।
दिल में तेरी याद बसी
आखें तस्वीरों में ढूंढ्ती है
लाख बुलाऊं तुझको मैं
पर फ़िर भी तू तो आये न॥
मां तो वो अनमोल खजाना
जो जीवन में ईक बार मिले
जिससे भी ये छिना खजाना
उसने ही इस दर्द को जाना।
पूनम
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30 टिप्पणियां:
मां तो वो अनमोल खजाना जो जीवन में ईक बार मिले जिससे भी ये छिना खजाना उसने ही इस दर्द को जाना। सही कहा जो खोये इस खजाने को वही कीमत जाने ..आँखे नम हो गयी ..माँ यूँ ही फिर साथ रहती है नम आँखों में और भीगते लफ़्ज़ों में ..
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
apana bachapan aur vo chotee chotee khushiya vo itrana aur fir shaitanee karke ma ke aanchal ke peeche chup jana sab aankho ke saamne aagaya...............
aap jo bhee likhate ho dil se likhate ho............
माँ वाकई में अनमोल है
maa...bachan...yaaden.......yahi to jivan bhar kee asli punji hai , jo deti hain dastaken aur karti hain kai baaten
मैया मोरी मै नहीं माखन खायो
अति सुन्दर कविता
आँखे नम हो आई आपकी रचना पढ़ कर ....... बहुत ही मार्मिक रचना ....... माँ ... एक ऐसा शब्द कि पूरी किताब कम पढ़ जाए उसको लिखने के लिए .....
बहुत मार्मिक रचना आँख भर आयी। शुभकामनायें
bahut marmik.
Bahut sunder.....
मुझसे दूर ही रह रही है
माँ की चिता से उठ्ती लपटें ,
में स्फुलिंग से डरता था
माँ को अब तक यह याद है ।
माँ ऐसी ही होती है ।
प्रणव सक्सेना amitraghat.blogspot.com
माँ का जाना...सर से एक साया हट जाना...मैं महसूस कर सकता हूँ आपके मनोभाव.
आँखे नम हो आईं..अति भावुक कर गई रचना.
जीवन चलता जाता है..यादें सताती रहती हैं.
विशेष मौकों पर उनकी कमी...क्या कहें!!
शायद आज आपका जन्म दिवस है. मेरी शुभकामनाएँ.
मार्मिक रचना!
माता जी को श्रद्धांजलि!
आप की रचना बहुत भावूक भाव लिये है, बस हमारी आंखे भर आई, बहुत अच्छी लगी
बचपन के बीते लम्हे हमेशा याद आते हैं....कितने भी बड़े हो जाएँ माँ दिल की गहराई में बसती हैं....बहुत ही भावपूर्ण रचना....
पूनमजी, रचना बहुत मार्मिक है.. हर इक शब्द मे गहरै है!! सच दिल भर आया और आँखे नम हुइ!!
कविता अच्छी लगी. आपकी पीड़ा को समझा जा सकता है.श्रद्धांजलि.
पूनम जी,
मैं आप के दुःख व् एहसास को भली भांति समझ सकता हूँ क्योंकि मैंने भी अपनी माँ को कुछ साल से थोडा ऊपर खो दिया था. शाश्त्रों में मां की तुलना भगवान से यूं ही नहीं की जाती. संसार सब से निस्वार्थ व् अनमोल रिश्ता सिर्फ मां का ही हो सकता है. अब मेरा भारत में अपने घर जाने का मन नहीं करता. वोही दरो-दीवार है पर सब सूने से लगते है. सब से असहनीय बात यह है के सभी और रिश्ते भी अनजान लगने लगे है उन का रंग कुछ और सा ही महसूस होता है. आप ने अपनी रचना से जैसे मेरे दिल जजबातों को ब्यान कर दिया है. जीवन यूं ही चलता रहता है, किसी के बिना रुकता तो नहीं पर हम अपने अन्दर के खालीपन को लिए यूं ही बिछड़े हुओं को याद ही कर सकते है , उन की जगह कोई नहीं ले सकता. भगवान आप की माता जी की आत्मा को शान्ति दे और आप को इस दुःख को बर्दाश्त करने की ताकत.
श्रद्धांजलि की साथ
आशु
Dukh hua sun ke.. Ishwar unki aatma ko shanti pradan karen..
जब दिल से दर्द की अभिव्यक्ति होती है तो वह बड़ी मार्मिक होती है. श्रद्धांजलि स्वरूप अर्पित आपकी यह पोस्ट ह्रदय में समां गयी. माँ की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता.
..माता जी को श्रद्धांजलि.
"माँ की अविधमानता की कल्पना से ही सिहरन-सी होती है फिर तो आपने प्रत्यक्ष ही इस दुःख को सहा है लेकिन इस पीड़ा को सहने के बाद आप सीधे उस ईश्वर की छत्रछाया में आ गईं हैं जिसने माँ को अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजा था, बाकि याद तो आएगी
ही,आपकी कविता पढ़कर आँखे नम हो आईं...."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
'मां तू तो ईश्वर स्वरूप है भला
तुझे मैं क्या दे सकती हूं
जो तूने आशीष दिया वही है
सपना अब पूरा करना।
दिल में तेरी याद बसी आखें तस्वीरों में ढूंढ्ती है लाख बुलाऊं तुझको मैं पर फ़िर भी तू तो आये न'
दिल को छू गयी आप की रचना .
आप की मम्मी जी की बरसी पर उन्हें अश्रुपूरित श्रधांजलि.
बहुत छूने वाली कविता। मां की याद विषय ही ऐसा है।
Mere blog ko sport karne ke liy dil se dhanybad...abhi tak to akela tha ...khusi hui aapne sath diya..!
मार्मिक रचना....!!
मां को श्रद्धांजलि....!!
is ehsaas se gujrna kisi bhi mushkil se kahin jyada mushkil lagta hai...man sochna bhi nahi chahta..
Poonam ji main to apni Maa ka karjdaar hu ke usne mujhe janam dekar yeh duniya dekhne ka mouka diya...wo to utara hi nahi ja sakta .... aur aapki es poem ko dekh kar mera mann bi vyakul ho gya.....sidha hridya to touch karti hai ....
Friends main koi shayar nahi ....
Na hu main koi Likhari...........
Dil ke armano ko vyakat kiya bas..
nam aankho ko bas jal se dhoya....
पूनम जी
आपकी ये कविता तो रुला गई हमें 1सच मे जीवन मे माँ की कमी कोई पूरी नही कर सकता सब कुछ बदल सकता है मगर माँ का हृदय नही 1आपकी पाठक बनी हूँ आशा करती हूँ सफर अच्छा रहेगा
सुमन कपूर ‘मीत’
aap bhi bahut acchi kavyitri hain. apki rachanayen man ko choo gai. hmara fortnightly news paper hai. Taabar Toli. ye akhbaar keval bacchon ke liye hai. yani isme bacchon va badon ki bacchon ke liye rachanayen chaapte hain. yah 2003 se cont. publish ho rha hai. poore desh me by post jaata hai. www.http://deendayalsharma.blogspot.com
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