कहते हैं जो रात गयी
सो बात गयी ऐसा भी
कभी ही होता है
पर बात जो दिल में जाये उतर
क्या वो लाख भुलाये
भी भूलता है।
ये तो एक बहाना है
अपने मन को बहलाने का
वरना इतना आसान नहीं
जो धोखे पे खाता धोखा है
क्या दिल उसका
इसे मानता है।
है वक्त बड़ा मरहम सबसे
जो बड़े से बड़े घावों को
खुद ही भरता है
पर वो इन्सां करे ही क्या
जिसे वक़्त ही
धोखा देता है।
फ़िर दामन वक्त का जो
हर क्षण है हमसे जुड़ा हुआ
उसके बिन इशारे के
इस जीवन का
इक पत्ता तक
फ़िर नहीं हिल पाता है।
वक्त के संग संग चलना
मजबूरी नहीं जरूरत है
जो कदम मिला ले
वक्त के संग तो
वक्त भी हम कदम बन जाता है।
जीवन का पर्याय है वक्त
वक्त का मतलब ही जीवन है
सही जीवन तो वही
निभा पाता जो वक्त की
डोर से बंधता है।
000000000
पूनम
29 टिप्पणियां:
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं बधाई।
"शुरू से अंत तक एक शानदार लयबद्ध कविता..
"
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
Bahut sunddar kavita vakt ki mahhta ko to batati hai vakt ke diye zkhamo ko bhi kureda hai aapne....bahut accha likha hai!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
सीधे सीधे जीवन से जुड़ी रस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता । एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है ।
sahee baat yade sath hee rahatee hai.
वक्त के संग संग चलना मजबूरी नहीं जरूरत है
जो कदम मिला ले वक्त के संग तो
वक्त भी हम कदम बन जाता है।
bahut sunder abhivykti .Poonamji aabhar .
बहुत सुंदर कविता, जख्म कभी भरते है, वक्त के संग रिस्ते रहते है... लेकिन जिन्दगी के संग कदम से कदम मिला कर चलना पडता है, इस लिये हम भुलने का बहाना करते है
achchhi kavita padhne ko mili
सच कहा आपने....जो बात दिल में लग जाती है.... वो फिर उतरती नहीं है... वक़्त सबसे बड़ा मरहम है...यही शाश्वत सच्चाई है....
वक्त भी हम कदम बन जाता है।
जीवन का पर्याय है वक्त
वक्त का मतलब ही जीवन है
सही जीवन तो वही
निभा पाता जो वक्त की
डोर से बंधता है।
बहुत सार्थक और सही पंक्तियाँ.... बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट.....
jindagi ki kuchh baaton pe sawaal uthati hui rachna ,main to ise padhkar yahi kahoongi ,jindagi vaad bhi hai apwaad bhi ,aapka kahna bhi sach hai ,har baat siddhant ke hisab nahi hoti ,jaisi paristhti aati hai saamna bhi usi tarah karna hota hai .umda
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 20.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
बहुत पसंद आई आपकी रचना.
वाह.. उम्दा कविता के लिए आभार आपका..
हमेशा की तरह आपने बहुत ही सुन्दर रचना लिखा है जो काबिले तारीफ है! बधाई!
ये तो एक बहाना है
अपने मन को बहलाने का
वरना इतना आसान नहीं
जो धोखे पे खाता धोखा है
क्या दिल उसका
इसे मानता है।
.......kai dilon ki dastaan
सभी अपने आप में मशगूल हैं, दुनियां के बारे में सोचने वाले तो वैसे ही बधाई और अभिनन्दन के हकदार हैं।
Dil se likhi gae ..bahut hi sunder aur bhavpoorn rachna..bahdai
bhoot achha hai dil baag baag ho gayaa
जीवन की सच्चाई बयां करती अच्छी रचना....
सही जीवन तो वही
निभा पाता जो वक्त की
डोर से बंधता है।
जीवन को देखने का नज़रिया
जीवन जीने का यही है जरिया
बहुत अच्छी प्रस्तुती एक अच्छे भाव के साथ बधाई स्वीकारें
जीवन का पर्याय है वक्त
वक्त का मतलब ही जीवन है
सही जीवन तो वही
निभा पाता जो वक्त की
डोर से बंधता है।
आपने सही लिखा है ... जो वक़्त के साथ नही चल पाते ... जीवन में पीछे रह जाते हैं ... सही अर्थ में समय की पहचान और उसके साथ चलना ही जीवन है .....
bahut sunder abhivykti .Poonamji aabhar
जीवन का पर्याय है वक्त
वक्त का मतलब ही जीवन है
सही जीवन तो वही
निभा पाता जो वक्त की
डोर से बंधता है।
बहुत सार्थक और सही पंक्तियाँ.... बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट.....
bas ye dor kabhi major na pade..
वक्त का मतलब ही जीवन है ..क्या खूब पंक्तियाँ है समय को परिभाषित करती हुई ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति है ।
Aapki maa ke nidhan ka samachr pakr atyant dukh hua.Maa ka sthan is sansar me dusra koi nahin le sakta.
सही जीवन तो वही
निभा पाता जो वक्त की
डोर से बंधता है।
Bahut khoob!
bahoot khoob bahoot he achha
एक टिप्पणी भेजें