बहुत कुछ सुनने सुनाने को बाकी
मगर पहले थोड़ी पिला दे तू साकी।
ताकत है इसमें भुलाने को गम
असर मुझपे भी हो जाये ताकि-----।
सुना है इसको जिसने पिया है
वो हर बार मर –मर के ही तो जिया है।
निभाता है साथ हर गम में बाकी----।
मगर बन जाता इक दिन नशा जिन्दगी का
जिगर तो जलाता साथ जां भी जो बाकी---।
नशा तो नशा है किसी किस्म का भी
जहर बन जाता इक दिन दवा भी
फ़िर भी नशा लोग करते हैं बाकी----।
सुना है जहर को मारता जहर है
सब करता इंसान जो चाहे अगर वो
फ़िर इसमें कसर क्यूं अब भी है बाकी---।
रहने दे तू मुझको पिलाने को साकी
रहने दो मुझको पिलाने को साकी-----।
39 टिप्पणियां:
एक बढ़िया भाव..सुंदर रचना...बधाई पूनम जी
जहर हमेशा ढाती है कहर
सुन्दर भाव की रचना
bahut khoob mam...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत खूब आज तो साकी का पैमाना भी छलक जायेगा
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
अब तो हम ने पीनी छोड दी, लेकिन सच कहूं आप की कविता से पुरा नशा हो गया, बहुत सुंदर कविता लगी.
धन्यवाद
पूनम जी,
मैँ समझ सकता हूँ कि आप पीती नहीँ हैँ ।तो फिर दूसरोँ को पीने के लिए मजबूर क्योँ कर रही हैँ?
इस सम्बन्ध मेँ भाटिया जी की बात मेँ भी दम है।खैर!
आपकी कविता अच्छी है जिसने इतना सोचने को लाचार किया।
"नशा तो नशा है किसी किस्म का भी" ये सभी समझे तब न !
पता नहीं क्यों ये नशा और पीनेवालों की शायरी मुझे बड़ी भाती है...वैसे मैं पीता नहीं लेकीन फिर भी ये शायरियां अच्छी लगती हैं :P ...और हाँ , जहर को जहर ही मरता है..
हम भी कुछ सोचने लगे आपके इस कविता पे..बेहद ही अच्छी, सोचने को मजबूर कर देने वाली कविता
सुना है इसको जिसने पिया है
वो हर बार मर –मर के ही तो जिया है।
निभाता है साथ हर गम में बाकी----
बहुत खूबसूरती से कह दी है ये बात....बहुत खूब
waah......paimana paimane ke saath
saki ek anutha rista bahut badhiya
सुन्दर भाव लिये है ये कविता....:
Bahut sundar rachna.bahut2 badhai...
bahut sunder rachna punam ji...
"बहुत कुछ सुनने सुनाने को बाकी
मगर पहले थोड़ी पिला दे तू साकी। "
pehli hi panktiyon me bahut dard hai...
"सुना है जहर को मारता जहर है
सब करता इंसान जो चाहे अगर वो
फ़िर इसमें
कसर क्यूं अब भी है बाकी"
ji bahut khoob!
kunwar ji,
ऊपर पढ़ा तो मजा आ गया
थोड़ा हमें भी नशा छा गया।
नीचे पढ़ा तो जुलुम हो गया
पूरा नशा ही हिरण हो गया।
बहुत लाजवाब,हर इक बात बहुत गहरी साथ ही नशा भी गहरा चढ़ा दिया आपने तो.इतनी बेहतरीन प्रस्तुती के लिए आभार
Harek shabd gadha hua hai..harek pankti mukammal!
एक नशीली रचना... इतने ऐब बता दिए आपने फिर भी इस रचना के नशे से बाहर आने को जी नहीं चाह्ता...अब तो ये आलम है कि होश आया भी तो कह दूँगा मुझे होश नहीं...
bahut hi achhi rachna...
hamesha ki tarah pasand aayi..
yun hi likhte rahein...\
regards..
http://i555.blogspot.com/
जहर को मारता जहर है ।
वाह
bade sundar shabdo me dhala hai apni bhavnao kao..
gum ke bahane peena...............
ye kaisaa jeena....................
bahut hi sundar kavita...aanand aa gaya padhkar
Aise hi tukbandi mila raha hoon, nosh farmaayen!
May de mujhko ke suroor to ho!
Nasha na ho paaye saaki!
Bas katra bhar madhoshi ho!
Par hosh rahe mera baaki!!!
वाह क्या बात कही......
एकदम नशे में सराबोर..
क्या लिख दिया पूनम ! मन प्रसन्न हो गया ।
ज्यादा मथने से
तीता हो जाता नीबू ।
अमृत भी विष
हो जाता है पीते पीते ।
punam ji namaste.
kabita ka bhaw bahut acchha hai.
bahut sundar.
dhanyabad
तू क्या जाने पीना पिलाना कैसे पिलायी जाती है
ढक्कन खुलता है बाद में बोतल पहले हिलायी जातीहै
बोदा नशा शराब का उतर जाय प्रभात
नाम खुमारी नानका चङी रहे दिन रात
तू क्या जाने पीना पिलाना कैसे पिलायी जाती है
ढक्कन खुलता है बाद में बोतल पहले हिलायी जातीहै
बोदा नशा शराब का उतर जाय प्रभात
नाम खुमारी नानका चङी रहे दिन रात
waah! kya baat hai !
बहुत खूब पूनम जी,
आज कुछ अलग से मूड की ग़ज़ल लगी.
-अच्छी लिखी है.
क्या बात है.. आगाज़ कुछ, अन्ज़ाम कुछ .. बहुत खूब..
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना प्रस्तुत किया है! बधाई!
poonam ji..kya baat hai ...alfajon ki jadoogari....uttam
सुंदर भाव।
आपकी कविता में पूरी बोतल का नशा है ... बहुत ही लाजवाब ... बहुत दीनो बाद मदहोशी की रचना पढ़ने को मिली ... मज़ा आ गया ...
होशो-हवास अपने सलामत रहे 'जिगर',
मंजिल से पूछ लूंगा कहाँ जा रहा हूँ मैं...
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