
उद्धव जाये कहियो कान्हा से सब हाल
राधे संग सखियन बेहाल
जानत रहियो जब जावन तुमको
काहे बढ़ायो मोह का जाल।
नज़रें इत उत डोलत हैं
मन कान्हा-कान्हा बोलत है
थकि थकि गये हम टेरत
टेरत नैना बाट जोहत हैं।
तुम तो बिसरा गयो हमको
पर हम तो अब भी तिहारी हैं
प्रीति की डोर ना टूट सके
ये रीति बनाई भी तुम्हरी है।
बचपन मा हम संग संग बाढ़े
मिलके रास रचायो खूब
बालापन में गोपियन संग
तूने नटखटपन दिखलायो खूब।
सुनने की तान मुरलिया की
तरसे बरसों हमरे कान
अब भी आ के सुर बिखराओ
हे नटवर नागर,हे घनश्याम।
होठों पे तेरे सजे बँसुरिया
अब मोहे तनिक भी भावे ना
वो तो पहिले थी ही वैरन
अब तो सौतन सी लागे न।
पर राधा तो तुम्हरी दीवानी
जो तुझको वो हमको भावे
जिया ना लागे मोरा तुझ बिन
तनिक ना पल कोई रास आवे।
यादों में तुम हमरी बसे
जिया में हूक उठत है श्याम
तुम सारे जग रे पियारे
पर मनवा हमरे बसे तिहारो नाम।
बड़ी देर भई तेरी राह निहारे
अब भी दया दिखावत नाहि
हमरी नगरिया फ़िर कब अइहो
बतला दो अब भी निरमोही कन्हाई।
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पूनम