रिश्तों के बंधन में
न बांधिए मुझको
जब इन रिश्तों का जहाँ में
कोई मोल नहीं है।
हर जगह है मार काट
जगह जगह पर दुश्मनी
बहते हुए रक्त का
कोई मोल नहीं है।
हैवानियत भी बढ़ गयी
इंसानियत कहीं खो गयी
अब प्रेम जैसे शब्द का
कोई मोल नहीं है।
क्या किसी को सीख के
दो शब्द हम बोलें
आज कोई शब्द ही
अनमोल नहीं है।
गांधी जवाहर वीर भगत
याद कर के क्या करें
आज जब दिलों में उनके
काम का कोई मोल नहीं है।
************
पूनम
न बांधिए मुझको
जब इन रिश्तों का जहाँ में
कोई मोल नहीं है।
हर जगह है मार काट
जगह जगह पर दुश्मनी
बहते हुए रक्त का
कोई मोल नहीं है।
हैवानियत भी बढ़ गयी
इंसानियत कहीं खो गयी
अब प्रेम जैसे शब्द का
कोई मोल नहीं है।
क्या किसी को सीख के
दो शब्द हम बोलें
आज कोई शब्द ही
अनमोल नहीं है।
गांधी जवाहर वीर भगत
याद कर के क्या करें
आज जब दिलों में उनके
काम का कोई मोल नहीं है।
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पूनम
7 टिप्पणियां:
bahut sundar
Meri Kavita
ati sundar bhaw
Poonamji,
Bahut sundar shabdon men ..bahut sundar panktiyan lokhi hain apne .Badhai
word varification hata den .
bahut achha likha h aapne
निराशा की रचना /सही है आज रिश्तों का बहते खून का ,इंसानियत का प्रेम का पूर्व पीढी द्वारा किया गए किसी कार्य का कोई महत्त्व नही रह गया आजकल
रिश्तों के बंधन में
न बांधिए मुझको
जब इन रिश्तों का जहाँ में
कोई मोल नहीं है।
ये पंक्तियाँ बहुत सुंदर लगी...
रिश्तों के ऊपर अच्छी लगी आपकी रचना मैंने भी कभी कुछ लिखा था ...इस लिंक पर देखियेगाhttp://dilkedarmiyan.blogspot.com/search?updated-max=2007-07-08T06%3A52%3A00-07%3A00&max-results=5
Very good poem, keep it up.
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