रविवार, 8 मार्च 2009

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी पाठकों,चिट्ठाकारों को हार्दिक मंगल कामनाएं।
आज की मेरी कविता सभी महिलाओं को समर्पित है।
नारी
अबला नहीं आज तो
सशक्त है नारी
स्वाभिमान स्वावलंबन से
भरपूर है नारी।

चहारदीवारी के भीतर
और बाहर भी
अपने अस्तित्व के साथ
संपूर्ण है नारी।

कहीं पत्थर की मूरत तो
कहीं अहसास कोमल भी
कहीं शोला कहीं शबनम
कहीं परवाज है नारी।

जो छेड़े दिल के तार
ऐसी साज है नारी
हर रूप में अपने
नया अंदाज है नारी।

कई महान विभूतियों में
से एक है नारी
बूझ न पाए देव मुनि
ऐसी राज है नारी।

फ़िर भी क्यूं नहीं हम
मानने को हैं तैयार
आज तो समाज का एक
स्तम्भ है नारी।
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पूनम

8 टिप्‍पणियां:

Meenu Khare ने कहा…

"अबला नहीं आज तो
सशक्त है नारी
स्वाभिमान स्वावलंबन से
भरपूर है नारी।"

सशक्त कविता.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हार्दिक मंगल कामनाएं।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

फ़िर भी क्यूं नहीं हम
मानने को हैं तैयार
आज तो समाज का एक
स्तम्भ है नारी।....
प्रश्न बना हुआ है......बहुत अच्छी रचना

Batangad ने कहा…

आज नहीं हमेशा से समाज का मजबूत स्तंभ है नारी।

Vinay ने कहा…

रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ

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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आसमान के सभी सितारे
धरती पर ला सकती है!
धरती के सब फूल उठाकर
अंबर पर धर सकती है!

पहले भय खाती होगी, पर
अब न किसी से डरती है!
पहले रहती थी पीछे, पर
अब वह आगे रहती है!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ... होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

होली पर क्यों नहीं नया कुछ?
लगता है - ज़्यादा खेली है!

monali ने कहा…

Bahut sundar rachna... shubhkamnaayein aur meri kavita par tippadi karne k liye dhnayavaad... aage bhi aise hi hausla afzaayi aur marg darshan karti rahein