शनिवार, 14 मार्च 2009

यादें




यादों के झरोखों से झांक लिया करूंगी
अतीत के पन्ने कभी पलट लिया करूंगी।

पल पल को समेटती चलती हूँ कभी
बीते हुए वक्त को दुहरा लिया करूंगी।

याद आयेगी तेरी जिंदगी के किसी मोड़ पे
दिल के आईने से तुझे देख लिया करूंगी।

सच का आईना होता है कड़ुआ बहुत मगर
अपने आप को फ़िर भी भरमा लिया करूंगी।

छोटी सी जिंदगी में रास्ते हैं कठिन बहुत
पर मंजिल पाने की कोशिश तो करुंगी।
०००००००००००००००
पूनम

7 टिप्‍पणियां:

BrijmohanShrivastava ने कहा…

यादों के झरोखों से झांकना और अतीत के पन्ने पलटना एक ऐसा सुख दुःख का सम्मिश्रण है जिससे हम बचना भी चाहते है और उसकी और हमेशा आकर्षित भी होते रहते है /कभी सुखद और कभी दुखद अनुभूति होती रहती है
बीता वक्त दोहरहा तो नहीं जा सकता ,हाँ लेटे लेटे उसकी कल्पना का अहसास किया जा सकता हैकुछ यादें तो ताउम्र अपने साथ रखी जाने के लिए होती है ""उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो ,न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए ""
रचना में केवल पांच पद है ,किन्तु यादों के वारे में तो १५-२० पेज की बात कह दी गई है ,दिल के आईने से झांकना ,अपने आप को भरमाना ,और मंजिल पाने का हौसला एक सकारात्मक सोच की ओर इंगित करता है /एक उत्तम सुरुचि पूर्ण रचना /बधाई /

Smart Indian ने कहा…

सच का आईना होता है कड़ुआ बहुत मगर
अपने आप को फ़िर भी भरमा लिया करूंगी।

बहुत अच्छा!

मोना परसाई ने कहा…

sunar aur sahaj rachana

रश्मि प्रभा... ने कहा…

सच का आईना होता है कड़ुआ बहुत मगर
अपने आप को फ़िर भी भरमा लिया करूंगी।
......
bahut badhiyaa

daanish ने कहा…

sach ka aaeena hota hai karhuaa bahut magar , apne aap ko phir bhi bharmaa liya karungi.....

apne-aap se apne-aap ki is bebaaki se baat karne ka lehjaa ek bahut hi achhi rachna ke roop mei saamne aaya hai......
badhaaee
---MUFLIS---

Vinay ने कहा…

मनोभावों को मानो गीले रंगों से रंग दिया हो!

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

बहुत भावनात्मक रचना ...खास कर ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं .

छोटी सी जिंदगी में रास्ते हैं कठिन बहुत
पर मंजिल पाने की कोशिश तो करुंगी।