दोस्ती के नाम
नजदीकियां भी बन जाती हैं दूरियां,
जब आपस में यूं ही हो जाती हैं गलतफ़हमियां।
क्यूं मूक सी दीवार खड़ी है आज दिलों के दरमियां,
कल तक जो डाले हाथों में हाथ करते थे खूब बातियां।
भरोसे और विश्वास से ही चलती हैं जिन्दगानियां,
इनके बगैर तो जिन्दगी हो जाती हैं बेमानियां।
कोशिश करके देख लो भूल पुरानी बातियां,
बढ़ा के हाथ दोस्ती का फ़िर से कर लो गलबहियाँ।
दिल से बोझ उतर जायेगा देखना इक दिन साथियां,
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियां।
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां॥
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पूनम
45 टिप्पणियां:
waah...umda rachna....
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियां।
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां॥
बिल्कुल सच कहा।
अच्छी रचना।
बधाई!
बहुत सही कहा!
nice
प्रशंसनीय ।
bilkul sahee baat......
sarthak lekhan pyara sa sandesh deta huaa .
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
"किया अभिमान तो फिर मान नही पायेगा
होगा प्यारे वही जो श्रीरामजी को भायेगा"
सुन्दर अल्फ़ाजो मे बँया किया है।
बहुत खूब...दोस्ती में अभिमान नहीं बस प्रेम होता है....सुन्दर रचना
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियां।
होता है।
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां"
सुन्दर पँक्तियाँ...."
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियों में आपने सही बात का ज़िक्र किया है! दोस्ती में ईमानदारी, विश्वास और सच्चाई होना बहुत ज़रूरी है वरना दोस्ती टूट जाती है!
दोस्ती को परिभाषित करती हुई सुन्दर सी कविता
दोस्ती में अभिमान होता नहीं
yahi mukhya baat hai, bahut achhe bhaw
बहुत सुन्दर!
इसको चर्चा में भी लिया है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_09.html
ji bahut sundar or sachi baat...
kunwar ji,
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां॥
सुन्दर रचना है !
गाँठ अगर लग जाये तो फिर, रिश्तें हो या डोरी,
लाख करो कोशिश , खुलने मे वक़्त तो लगता है.
भावपूर्ण कृति के लिए बधईयाँ
Sach hi farmaya hai aapne...bahut khoob
नजदीकियां भी बन जाती हैं दूरियां,
जब आपस में यूं ही हो जाती हैं गलतफ़हमियां।
क्यूं मूक सी दीवार खड़ी है आज दिलों के दरमियां,
कल तक जो डाले हाथों में हाथ करते थे खूब बातियां।
Galatfamiyon ko dhoti dindgi ko kabhi sukun nahi mil paata, jitne jaldi ho esse baahar nikal lene bhi bhi sabki bhalaee hoti hai..
Bhavpurn rachna ke liye badhai
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियां।
bilkul sachhi panktiyaan...
achha laga yahan aakar....ab aksar aaya karoonga...
behtareen likhti hain aap.......
bahar men to hai naheen fir gazal kaise?
mere blog par bhi padharein...
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियां।
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां॥
बिलकुल ......!!
सच है दोस्ती में ग़लतियों का क्या रोना .... दोस्ती तो दिल से होती है .. सब कुछ साझा होता है ... दोस्ती को बस दोस्ती की नज़र से देखना चाहिए ...
बहेतरीन प्रस्तुती .....
वाह बहुत ही सुन्दर ।दोस्ती पर बहुत उम्दा रचना रची आप ने ...बधाई
your blog is very nice pls.see my blog i am waiting you
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
यह तो है - अभिमान आया और दोस्ती गली!
अच्छी कविता मन के भावों की ।
aaj blog aapka intzar kar raha hai....
यह रचना दिल को छू गई... बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ...बहुत सुंदर रचना.....
jahan se tum mod mud gaye they...woh mod ab bhi wahin khade hain...hum apne pairon mein na jaane kitne bhanwar lapete hue khade hai...
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियाँ .
बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति !
वाह बहुत ही सुन्दर ।दोस्ती पर बहुत उम्दा रचना
दोस्ती को परिभाषित करती हुई सुन्दर सी कविता
bahut badhiya....dosti ko bakhubi utara hai aapne
वो दोस्ती ही क्या जहां होती नहीं हैं गलतियां।
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां॥
Kitna sahaj andaaz hai kahneka! Waah!
दोस्ती में अभिमान होता नहीं साथियां,
वो न बढ़े तुम बढ़ जाओ बांध लो प्रेम की डोरियां॥
bahut khas baat hai ye ,sundar rachna dosti par .
mere blog par is baar..
वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
jaroor aayein...
sunder rachna.
waah keyaa baat hai
thik thak hai
antra me kani hai thodi
thanks apne meri haosla afjai ki,
ummid karta hoon aap hamesha apne sujhav bhjti rahengi
पूनम जी,
बिलकुल सत्य है...मित्रता में यदि ग़लतफहमी हो जाये तो उसे जल्दी-से-जल्दी दूर कर लेना चाहिए इससे पहले कि नफरत बढ़ जाये क्योंकि...
रहिमन धागा प्रेम का मत टूटे चटकाए
जोड़े से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाये...
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