भूख ऐसी ही तो होती है,
जो आव देखती है न ताव,
जो आव देखती है न ताव,
बस झपट ही तो पड़ती है,
कभी गन्दगी के ढेर में
तो कभी छप्पन भोगों की थाल में
तो कभी बाजारों व कोठों की रौनकों में
फर्क सिर्फ़ इतना है भूख मिटने पर कोई कहता है वाह!!!
तो किसी के दिल से निकलती है आह!!!
००००००००००
पूनम
9 टिप्पणियां:
आह क्यों निकलेगी भला, कभी हमें खाने पर बुलाइए. फ़िर देखियेगा कि आह निकलती है या वाह .
आज कुछ नया नहीं लिखा. पहले का कुछ लिखा हुआ, जो डायरी के पन्नों में दबा रह गया हो, निकाल लाइए. :)
कोई पाती प्रेम भरी यदि हो तो वह भी शेयर करें, कसम से मज़ा आ जाएगा.
आज का टिप्स है कि --अपने ब्लॉग लिस्ट में हमें भी थोडी सी जगह दे दीजिये.
हर सच की शहादत से मुकर जाता है पेट।
उनकी जूठन तक उतर आता है पेट।
आपका स्वागत है।
कभी-कभार हमारा लिखा भी पढ़ लिया करिए, बहुत ही सुपाच्य लिखता हूँ, वो भी वेजिटेरियन. :)
sahi hai....deewana aadmi ko banati hain rotiyaan
bhookh ki vyakhyaa jo ki hai,uski jitni prashansa karun,kam hogi.......wah aur aah ko samajhna ek marm hai,jise aapne shabdon me dhaala hai,ati sundar
आज आप ऑनलाइन थीं, तो मुझे उम्मीद थी कि कोई नई रचना मिलेगी पर ऐसा नहीं हुआ. निराश हुआ. |*_*|
Thanx poonam ji for visiting blog.nd appreciating the scribbles i do write. thanx a lot.
kya kahuin kitna ghera aur kadwa sach likha diya shabd nahi haon.....
bas meri subhkaamnay aapke sath hain.....
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें .(हटाने के लिये देखे http://www.ucohindi.co.nr )
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
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