शनिवार, 6 दिसंबर 2008

आग


हर तरफ़ लगी है
ये कैसी आग
जाने इस आग में
क्या है बात.

जो चारों तरफ़ अपना
मुंह लपलपा रही है
हर गली हर नुक्कड़
और हर चौराहे पर
यह अपना विकराल रूप
दिखला रही है
यहाँ तक कि समाज के
पूरे अस्तित्व को ही यह आग
एक फन काढे
भयानक नाग की तरह
अपने अंतहीन पेट में
लीलती ही चली जा रही है.

चाहे पेट में
आग लगाने की आग हो
चाहे पेट की आग
बुझाने की आग हो
चाहे रिश्तों में
नफरत बढ़ाने की आग हो
चाहे इन्सान द्वारा
इन्सान को जलाने की आग हो

आग तो बस आग है
जो सिर्फ़ जलना और जलाना ही जानती है.
००००००

पूनम





4 टिप्‍पणियां:

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Poonam ji,
Apkee donon kavitaen (Maut ke saye men,tatha AAG) padheen. Donon hee aj ke parivesh ,aur pooree duniya men badh rahe atankvad par likhi gayee hain…….Achchhee rachnaon ke liye meree hardik badhai.
Hemant Kumar

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

लगता है आपको कहीं देखा है !!
वैसे यह बातें बॉलीवुड का हीरो कहता है और मैं हीरो नहीं पर सवाल वही फ़िर सामने है,
लगता है आपको कहीं देखा है !!
मन से उभरा ये सवाल है और मन से उभरा ये जवाब है
कहीं ये वो तो नहीं !!
:)

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

आप के ब्लॉग तक मेरा पहुंचना आसान बना दीजिये और मेरे ब्लॉग पर आकर ब्लॉग परिवार की सदस्य बन जाइए. कैसे बनना है यह तो आप ख़ुद ही आकर देखिये. सुस्वागतम.


और अपनी ब्लॉग सूची में मुझे भी ज़रा सी जगह दे दीजिये.
एडवांस में धन्यवाद. :)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

shukriyaa poonam ji,meri rachnaaon ko padhne ke liye....
aapki rachna me ek aag hai,iski tapish logon ko jagayegi,bahut badhiyaa
aapki kalam yun hi sahajta se logon ke dilon tak pahunche