उड़ते फ़िरते पक्षी सारे
ज्यों घूमा करते बंजारे
घूम घूम कर डाली डाली
ढूंढ़ रहे अपने घर सारे।
प्रेम की भाषा इनमें इतनी
काश कि इन्सानों में दिखती
इनमें आपस में विश्वास बड़ा
तभी तो रहते घर को संवारे।
देख रहे सूनी आंखों से
अपने संवरे घर को उजड़ते
सोच रहे मन ही मन में
रहें कहां अब हम बेचारे।
बिन इनके तो जंगल सूना
बगिया सूनी सूनी दिखती
चहका करती थी जो घर में
उनकी आवाज को तरसते सारे।
रोज बाग में आती थी गौरैया
इक इक दाना चुगती थी
दाने अपने मुख में भरकर
बच्चों का पेट वो भरती सारे।
अब गौरैया बैठी दीवारों पर
ले बच्चों को बिलख रही
जाऊं तो जाऊं कहां
छोड़ के बच्चे प्यारे प्यारे।
कोयल की कूक भी अब देखो
सुनने को कम ही मिलती है
ठौर ठिकाने ढूंढने में
भूल गयी वो भी सुर सारे।
तिनका तिनका ढूंढ के ये
मेहनत से अपना घर बार बनाते
पर बेदर्द मतलबी इन्सानों ने
इनके घर संसार उजाड़े।
पशु पक्षी से भी प्यार करो
इनसे प्यार के बदले मिलता प्यार
आओ इनका घर फ़िर से संवारें
गौरैया दिवस के अवसर पर आज।
000000
पूनम
34 टिप्पणियां:
ओह, धन्यवाद याद दिलाने को। चलूं, बाहर देखूं, कि दिखती है गौरैया या नहीं।
सवेरे कबूतर तो आये थे। गौरैया कम ही आती है। :(
बहुत खूब ....गौरया के व्यथा व्यक्त करती ये सुन्दर सी रचना
बढ़िया लिखा है आपनें,बधाई.
प्रेम की भाषा इनमें इतनी
काश कि इन्सानों में दिखती
काश ---------------------
बहुत सुन्दर ,बधाई और आभार भी !
अति सुंदर आप की कविता
काश हम भी सीख सकते इन पक्षियो से प्रेम करना मिल जुल कर रहना.
धन्यवाद
बढ़िया लिखा है आपनें,बधाई.
इतना अच्छा लिखा आपने, बचपन मे हमारे आंगन मे गौरैया फुदकती रहती थी, अब तो गायब हो गयी है या यों कहें कि इन्सानी सनक के हवाले चढ़ गयी है । शुक्रिया ।
bhavvibhor kar gaee ye rachana.............
बहुत खूब ....गौरया के व्यथा व्यक्त करती ये सुन्दर सी रचना
वाह अद्भुत सुन्दर रचना! शानदार! बधाई!
पक्षियों की व्यथा को समेटे बहुत अच्छी रचना....
बधाई
पूनम जी, जब लखनऊ में थी तो मेरे घर में हर साल गौरैया या कबूतर एक दो घोंसले तो बनाते ही थे। पर जब से चेन्नई में आई हूँ मैंने गौरैया देखी ही नहीं। सुंदर रचना......बधाई।
अगर बोलना आता होता तो शायद गौरैया भी यही कहती उनकी भावनाओं को आपने बढ़ी खूबी से अपने शब्द दिये है.
बेहद संवेदनशील रचना........."
amitraghat.blogspot.com
रानीखेत के मेरे घर में गोरैया से रोज़ मुलाकात होती थी. पर दिल्ली में आकर वो सब छूट गया. आपकी रचना मुझे मेरे घर की तरफ ले गयी ! बहुत सुन्दर लिखा है आपने !
पूनम जी, बहुत अच्छी अभिव्यक्ति. सच गौरैया तो जैसे भूली बिसरी बात हो गयी है.गुजरात में थी मैं तो दिखती थी पर दिल्ली में तो शायद नहीं देखी. हाँ मेरे घर कौवों की आज भी रोज़ दावत होती है यहीं दिल्ली में
mere blog par aane aur tipaani dene ke liye danyavaad goraya divas par likhane ke liye aabhar
very nice....the day was celebrated in d doon...
वाह पूनम जी ,
बहुत सुंदर रचना
बिलुप्त हो रहे पछियों को बचाने का पह्लात्मक सुझाव ,
"बगिया सूनी सूनी दिखती
चहका करती थी जो घर में"
पूनम जी, तसल्ली से आपके ब्लॉग का चक्कर काट कर आ रहा हूँ. पूरा ब्लॉग पढने और देखने के बाद लगा की हां अभी कुछ लोग बचे है जो प्रत्येक चीज पर नजर रखे हुए है. हमारा क्या है पत्रकार है जो देखा और सुना उसे लिख दिया. लेकिन अपने दिल के भावो को जिस तरह सुन्दर शब्दों में पिरो कर आप कविता लिखती है उसके लिए आप बधाई की पात्र है. मैंने भी कुछ ऐसे विषयों पर गुफ्तगू करने के लिए ब्लॉग बनाया है. कभी समय मिले तो गुफ्तगू करने आइयेगा.
www.gooftgu.co.nr
"प्रेम की भाषा इनमें इतनी
काश कि इन्सानों में दिखती"
"गौरिया दिवस" भी होता है जानकार सुखद लगा.
प्रेम की भाषा इनमें इतनी
काश कि इन्सानों में दिखती
इनमें आपस में विश्वास बड़ा
तभी तो रहते घर को संवारे।
बहुत ही बढ़िया कविता...काश हम इंसान भी इन मासूम पक्षियों से कुछ सीख सकें.
Waqayi...bachpanme gharme ghus goraiya ghonsle banati rahti thin...aaj to kahin nazar hi nahi aati..afsos!
गौरया के व्यथा व्यक्त करती ये सुन्दर सी रचना
खूबसूरत रचना ,,,गौरया के विषय पर अच्छा प्रयास..
विकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
gauraiya aai hai khidki per. aapki rachna use suna dua ki hai......
achhi rachna aur utna hi umda vishay.......badhai!!
ज़माना हो गया, गौरैया को देखे । पहले तो घर के आँगन पर दिख जाती थी । आपने बहुत सुन्दर रचना लिखी है । बधाई ।
ज़माना हो गया, गौरैया को देखे । पहले तो घर के आँगन पर दिख जाती थी । आपने बहुत सुन्दर रचना लिखी है । बधाई ।
Ramnavmiki anek shubh kamnayen!
वाह .. कमाल का संदेश है आपकी इस रचना में ... पंछी की दुखभरी कहानी कहती अच्छी रचना ...
gauraiya divas bhi hota hai ye to hame pata hi nahi raha ,sundar rachna ke saath jaankaari dene ke liye bhi shukriyaan .
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