गांव शहर या नुक्कड़ पर,होती है दिन रात अब चर्चा
रहती थी जो खास कभी,बन गई ये आम चर्चा।
कल तक सामने बैठे जो किया करते थे गुफ़्तगू
उनमें है कुछ खटर पटर,बन गई ये आम चर्चा।
किसी की बिटिया सयानी,नहीं ब्याही गई अब तक
निगाहों में लगती अटकलें,बन गई ये आम चर्चा।
कोई मंजिलों से कूदा,तो किसी ने पटरी पे जान दी
कोई मुहब्बत में गया मारा,बन गई वो आम चर्चा।
पैसों के लालच में कोई,कितना हुआ अंधा
ईमान कैसे बिकता है,बन गई ये आम चर्चा।
नहीं बेटा किसी के घर में,सिर्फ़ बेटी हुयी पैदा
जीना उसका मुहाल करके,कर रहे सब आज चर्चा।
कहीं बिन बात के चर्चा,कहीं हर बात पे चर्चा
शगल में हो गया शामिल,सभी के खासो आम चर्चा।
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पूनम