आज वो खूनी मंजर फ़िर याद आ गया
सब की आंखों को फ़िर से वो बरसा गया।
मांएं इंतजार में बैठी बस नजरें बाट जोह रही
विधवायें सूनी मांग लिये हर कोने में सिसक रहीं।
बेबस अनाथ बच्चे जैसे अपनों को भीड़ में ढूंढ़ रहे
खो चुके जो अपनी पहचान खुद अपना परिचय पूछ रहे।
कहीं पथराई सी आंखें हैं जिनका सब कुछ लुटा हुआ
आज का खूनी दिन देखो फ़िर से उनको रुला रहा।
हम सब बेबस बन कर के कैसे हाथों को बांधे खड़े रहे
मूक दर्शक व श्रोता बन कर केवल मन में चीत्कार लिये।
भीगी पलकों से ही हमने श्रद्धांजलि अर्पित कर दी उनको
सब की आंखों को फ़िर से वो बरसा गया।
मांएं इंतजार में बैठी बस नजरें बाट जोह रही
विधवायें सूनी मांग लिये हर कोने में सिसक रहीं।
बेबस अनाथ बच्चे जैसे अपनों को भीड़ में ढूंढ़ रहे
खो चुके जो अपनी पहचान खुद अपना परिचय पूछ रहे।
कहीं पथराई सी आंखें हैं जिनका सब कुछ लुटा हुआ
आज का खूनी दिन देखो फ़िर से उनको रुला रहा।
हम सब बेबस बन कर के कैसे हाथों को बांधे खड़े रहे
मूक दर्शक व श्रोता बन कर केवल मन में चीत्कार लिये।
भीगी पलकों से ही हमने श्रद्धांजलि अर्पित कर दी उनको
रस्म अदाई की अपनी फ़िर अगले पल ही भुला दिया।
ऐसी दिल दहलाने वाली घटना जिससे था जर्रा जर्रा कांपा
डर डर के लमहे बीते थे आगे अब जाने क्या होगा ।
खून सभी का एक ही है फ़िर क्यों करते हैं हम बटवारा
मिल करके दुआ करो रब से हादसा न हो फ़िर दोबारा।
00000000
पूनम
ऐसी दिल दहलाने वाली घटना जिससे था जर्रा जर्रा कांपा
डर डर के लमहे बीते थे आगे अब जाने क्या होगा ।
खून सभी का एक ही है फ़िर क्यों करते हैं हम बटवारा
मिल करके दुआ करो रब से हादसा न हो फ़िर दोबारा।
00000000
पूनम