शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

गज़ल


खाली बोतल जाम है खाली,बन्द पड़े सारे मयखाने
कष्ट बड़ा जीवन में है रब,टूट गये सारे पैमाने।

सबकी देहरी घूम के देखा,सबके अपने हैं अफ़साने
दुख की घड़ियां गिनता कोई,कोई बुनता नये ठिकाने।

तिनका तिनका जोड़ के इक दिन,पूरे हुये थे मेरे सपने
वक्त ने करवट ऐसी कुछ ली,अपने तिनके हुये बेगाने।

हवा यहां कुछ ऐसी बहकी,कोई अपने खून को ना पहचाने
जान चुका था मै भी तब तक,निकले ही थे वो उड़ जाने।

जैसे भटका हुआ मुसाफ़िर,लौट ही आता अपने ठिकाने
अपनी क़िस्मत कब बदलेगी,हम भी देते रब को ताने।
              000
पूनम