कुछ परिन्दों का दीदार कर लूं तो चलूं
सपनों को थोड़ा उड़ान दे दूं तो चलूं।
उड़ने से पहले ही पर कट न जाय कहीं
उनको कटने से बचा लूं तो चलूं।
झुग्गी झोपड़ियों में बहती है नीर की धारा
उनके आंसुओं को जरा पोंछ लूं चलूं।
उम्मीदों के दीप जो जलाए हैं हमने
उन्हें औरों तक पहुंचा दूं जरा तो चलूं।
कुछ पुण्य किये हैं तो पाप भी बहुत हमने
खुदा की इबादत कर लूं जरा तो चलूं।
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पूनम