शुक्रवार, 30 जनवरी 2009

उलझन


घिस घिस कर कलम
भर गए सब पन्ने
पर लिखनी थी जो बात
वो ही न लिख सके।

सुन सुन कर औरों की
कान जब्त हो गए
जब कहने की बारी आई
तो ख़ुद कुछ न कह सके।

मन का दिया बना कर
सोचों की आहुति डाली
सूरज की रोशनी में भी
पर वो न जल सके।

तारों को अपने आँचल में
चाहा था उतारना
पर क्या करें जब पाँव
जमीं पर ही न टिक सके।
………….
पूनम

शनिवार, 24 जनवरी 2009

बेटियाँ


सूरज से हैं तेज बेटियाँ,
चाँद की शीतल छाँव बेटियाँ,
झिलमिल तारों सी होती हैं,
दुनिया को सौगात बेटियाँ।

कोयल की संगीत बेटियाँ,
पायल की झंकार बेटियाँ,
सात सुरों की सरगम जैसी,
वीणा की वरदान बेटियाँ।

घर की हैं मुस्कान बेटियाँ,
लक्ष्मी का हैं मान बेटियाँ,
माँ बापू और कुनबे भर की,
सचमुच होती जान बेटियाँ।

दुर्गा इंदिरा लक्ष्मी बाई,
जैसी बनें महान बेटियाँ,
कर्म क्षेत्र में बढ़ने को हैं,
आज सभी तैयार बेटियाँ।

सूरज सी हैं तेज बेटियाँ,
चाँद की शीतल छांव बेटियाँ।
०००००००००००००००००
पूनम

सोमवार, 19 जनवरी 2009

सपने


बंद आँखों में हैं सपने
खुली आँखों में हैं सपने
कभी लगते हैं बेगाने
कभी लगते हैं ये अपने।

कभी वर्षों गुजर जाते
कभी पल में पूरे हो जाते
न जाने कैसे कैसे खेल
खिलाते हैं ये सपने।

कभी कलियों से खिल उठते
कभी बुझते हैं दीपक से
कभी मृग मरीचिका बन कर
हमें चिढाते हैं ये सपने।

तेरे सपने मेरे सपने
पीछे मुडे तो बीते सपने
आगे बढे तो दिखते सपने
काश कभी वो दिन भी आए
पूरे हों जब सबके सपने।
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पूनम

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

माँ


मां है अगर तो समझो जीवन
सबका सुखमय बीता
मां का आंचल मिला न जिसको
उसका जीवन रीता।

उंगली पकड़ चलना सिखलाये
वात्सल्य स्नेह और ममता
मां को पल भर चैन न आए
यदि बच्चा करवट लेता.

जब मां की दुआएं साथ रहें
तो हर संकट टल जाता
ले लेती वो सारी बालाएं
जो उसके सम्मुख आतीं।

मां ही शक्ति मां ही भक्ति
मां ही मन की ज्ञाता
मां के चरणों का वंदन ही
तीरथ धाम कहाता।

मां बच्चे का प्यार अनूठा
जो रोम रोम में बहता
नहीं दिखाई देता इसके
जैसा दूजा रिश्ता।
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पूनम

रविवार, 11 जनवरी 2009

आईना


आईना हमको हकीकत दिखा गया,
पीछे न मुड के देख ये बता गया।

वो झूलती बाहें वो भागता सा मन,
याद आज हमको बचपन दिला गया।

हर चमकती चीज को सोना न समझ,
कोई उस पर पीतल का पानी चढा गया।

चेहरे के बदलते हुए भावों को तो देख,
आँखें भी धोखा देती हैं ये जता गया।

जिंदगी से भागने की कोशिश तू न कर,
कितनी है अनमोल ये कीमत बता गया।

पत्थर पर चोट करने से है शीशा ही टूटता,
आज हमारी हैसियत हमको बता गया।
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पूनम

बुधवार, 7 जनवरी 2009

रिहाई


नींद यूँ उडी ज्यों हवा हो गयी
जैसे पिंजरे से चिडिया रिहा हो गयी ।

चाहर दीवारी के अंदर हुई जो बात
आज हर जुबान-ए दास्ताँ बन गयी ।

होंठ जो खुले फ़िर बंद हो गये
आंख हर हाल -ए -दिल को बयाँ कर गयी ।

दुश्मनी का पैगाम जहाँ भेजते थे रोज़
आज वहीं दोस्ती अजीब बन गयी ।

नफरत की आग जब खत्म हुई दिल से
दूरियां भी आज करीब बन गईं ।

शब्द शब्द जोड़ कर लिखते थे कई
आज वो इक मोटी किताब बन गयी।
पूनम

शनिवार, 3 जनवरी 2009

हिम्मत


हिम्मत न हारिये कोशिश तो कीजिये
सफलता आपके कदम चूम लेगी।

हर को जीत में बदल के दिखाइए
राहें आपकी ख़ुद ही बदल जायेंगी।

जिंदगी को जीने का पैमाना तो बनाइये
खुशियाँ तो ख़ुद ही छलक पड़ेंगी।

इन कन्धों को दूजों का सहारा तो बनाइये
अपना सहारा ये आप ही बनेगी।

गिरते हुओं को उठा के तो देखिये
दुआएं इनकी आपको सलामत रखेंगी।

दूसरों के दुखों को बाँट के तो देखिये
ये आपके ही गम को हलका करेंगी।

कदम से कदम मिला के तो देखिये
हर मंजिल आपको करीब ही लगेगी।

जिंदगी के हर लम्हे को सकून से बिताइए
ये जिंदगी भी आपको अजीज लगेगी।
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पूनम