शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

बेटियां

बहुत खुशी की बात है कि मेरी कविता बेटियां की कुछ पंक्तियां युनाइटेड नेशन्स पापुलेशन फ़ण्ड द्वारा मध्य प्रदेश में बालिका शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिये चलाये जा रहे प्रोजेक्ट में पोस्टर,बैनर्स,और फ़्लैक्स के लिये चुनी गयी हैं।ये सभी बैनर्स,पोस्टर्स और फ़्लैक्स वहां के सभी स्कूलों,सरकारी कार्यालयों में लगाये गये हैं। मैं यह खुशी आप सभी के साथ बांटना चाहती हूं।

पूनम


बुधवार, 7 सितंबर 2011

सिसकते शब्द



तन्हाई के आलम में रहते रहते

शब्द भी मेरे बिखर के रह गये।

सोच की धरा पर जो भावों के पुल बने मेरे

शब्द पानी पर नदी के उतराते जैसे रह गये।

दरवाजे पर दस्तक से दिल धड़क धड़क उठे

कौन हो सकता है बेवक्त बस लरज के रह गये।

इन्सान को सही इन्सां समझना है बड़ा मुश्किल

मन ही मन में इसका हल ढूंढ़ते रह गये।

भरोसा भी करें तो कैसे और किस पर हम

सफ़ेदपोश में छुपे चेहरे असल दंग हम रह गये।

उड़ान मारते आसमां में देखा जो परिन्दों को

पिंजरे में बन्द पंछी से फ़ड़फ़ड़ा के रह गये।

मत लगाओ बन्दिशें इतनी ज्यादा

हम गुजारिश पर गुजारिशें ही करते रह गये।

सच्चाई को दफ़न होते देखा है हमने

झूठ का डंका बजा पांव जमीं से खिसक गये।

सन्नाटा पसरा रहता सहमी रहती गली गली

हम झरोखे से अपने झांक के ही रह गये।

जल रहे हैं आशियाने हंस रहे हैं मयखाने

सियासती दांव पेंचों में शब्द सिसक के रह गये।

झिलमिलाते तारों संग जो आसमां पे पड़ी नजर

हो खूबसूरत ये जहां भी चाहत लिये ही रह गये।

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पूनम