…………मंगल कामनाओ के साथ ।
मन के अंधेरों में ही कहीं
अंधेरे से बाहर आने के लिए
लड़ते निरंतर लड़ते छट्पटाते।
बेचैन लेकिन कभी कभी
अँधेरा भी हो जाता है जबरदस्त
उजाले की कोशिश भी एकबारगी
हो जाती है पस्त।
फ़िर भी वह कोशिश का
दामन नहीं छोड़ता
निरंतर रहता है प्रयासरत
की कभी तो वो दिन आयेगा।
जब अंधकार को चीरकर
उजाला अपनी रोशनी को
फैलाएगा चारों ओर
सारी बाधाओं को अपने में समेटे हुए
एक विजेता की तरह।
………….
पूनम