जो बात लगी दिल में उसे याद दिलाया न करो
बार बार वो वाकया यूं दुहराया न करो।
तुम कह के चले जाते हो अपने रस्ते
मैं सोचती ही रह जाऊं यूं परेशां किया न करो।
अपने कीमती समय से चन्द लमहे निकालते हो तुम
फ़िर सब्र से बैठो जरा यूं खड़े ही चले जाया न करो।
हर आहट पर लगता है कि आये हो तुम्हीं तुम
पल पल खयालों में आकर यूं भरमाया न करो।
दिल के दरवाजे मेरे खुले हैं सिर्फ़ तुम्हारे लिये ही
हर दरवाजे पर जाकर दस्तक तो यूं दिया न करो।
गर तुम हो आफ़ताब तो मैं जमीं की धूल हूं
पर पांवों से ठोकर मारकर धूल को यूं उड़ाया न करो।
चिरागे रोशनी में लिखती हूं मैं तुम्हारे लिये कुछ लफ़्ज
पढ़कर उसे मेरा मजाक तो यूं बनाया न करो।
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पूनम