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कौन माता-पिता तुलसी के
किसके घर अवतारी ना,
नभ हैं पिता मात हैं धरती
ब्रह्मा के घर अवतारी ना।
श्री पति कंत श्याम संग ब्याही
श्यामल गोरी तुलसी ना,
इसीलिये तो नाम पड़ा
श्यामा-रामा तुलसी ना।
हरी हरी तुलसी की पौध
घर आँगन में निखर रही,
अपनी वास-सुवास से
घर घर को महकाये ना।
तुलसी की महिमा अपरम्पार
अनेक गुणों की है भंडार,
देवों के दिल में जा बसतीं
खुशी से फ़ूली समाती ना।
बिन तुलसी का पात चढ़ाये
प्रभु को भोग तो भाये ना,
भक्त हठीले हनुमन्त का
बिन तुलसी के पेट भरे ही ना।
तुलसी तो प्रभु का अंग
वो भक्ति स्वरूप स्वयं ही हैं,
जो बन संजीवनी सबके लिये
जीवन को खुशहाल बनाती ना।
हो गमलों में यदि तुलसी माँ
तो घर में अँधेरा होए ना,
वास जो उनमें प्रभु का है
तो घर उजियारे से भर जाये ना।
मन जले दीप
बन हृदय की बाती,
दिल की ज्योति
जगमग करती रहती ना।
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पूनम