जा री प्यारी हवा तू जा
बादल से तू पूछ के आना
धरती पर कब बरसेगा वो
जल्दी से आ के बतलाना।
धीरे धीरे मत जाना तुम
सर्र सर्र करती उड़ जाना
इधर उधर मत राह भटकना
बात बता के जल्दी आना।
प्यार से कहना बादल भइया
प्यासी धरती तड़प रही
सूरज भी है आग उगलता
कब तक है उसको सहना।
खेत गांव सब सूख रहे
किसानों के चेहरे मुरझाये
पशु पक्षी भी प्यासे प्यासे
भूले वो भी चहचहाना।
विनती करना तुम बादल से
सूरज को समझा दे जरा
इतनी अकड़ भी ठीक नहीं
कि हद से ज्यादा गुजर जाना।
रिमझिम बारिश की फ़ुहारें
जब सूरज को भिगोयेंगी
भीज उठेगा उसका तन मन
प्यार से उसको समझाना।
प्यार ही एक ऐसी भाषा
जिसे पशु पक्षी भी समझते हैं
बादल के संग सूरज को भी तुम
प्यार की झिड़की दे आना।
फ़िर देखो कैसे नहीं छायेंगी
बादल की घनघोर घटाएं
सूरज भी अपना रुख बदलेगा
जब छेड़ेगी बारिश अपना तराना।
भूल ना जाना उनको तुम
धन्यवाद देती आना
इंतजार बेसब्री से तुम्हारा
समाचार शुभ ले आना।
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पूनम