बुधवार, 24 नवंबर 2010

तुलसी की महिमा

मैं अपने सभी पाठकों से क्षमा चाहती हूँ की इधर नेट की गड़बड़ी की वजह से किसी भी ब्लाग को नहीं पढ़ पा रही हूँ इसलिये टिप्पणी भी नहीं डाल पा रही हूँ।मैं आप सबकी क्षमा प्रार्थिनी हूँ।कार्तिक पूर्णिमा का महत्व तो सभी जानते हैं।इस अवसर पर तुलसी मैय्या के बारे में मैंने कुछ पंक्तियां लिखी थीं। नेट की गड़बड़ी के कारण ही इसे विलम्ब से प्रकाशित कर रही हूं।

कौन माता-पिता तुलसी के

किसके घर अवतारी ना,

नभ हैं पिता मात हैं धरती

ब्रह्मा के घर अवतारी ना।

श्री पति कंत श्याम संग ब्याही

श्यामल गोरी तुलसी ना,

इसीलिये तो नाम पड़ा

श्यामा-रामा तुलसी ना।

हरी हरी तुलसी की पौध

घर आँगन में निखर रही,

अपनी वास-सुवास से

घर घर को महकाये ना।

तुलसी की महिमा अपरम्पार

अनेक गुणों की है भंडार,

देवों के दिल में जा बसतीं

खुशी से फ़ूली समाती ना।

बिन तुलसी का पात चढ़ाये

प्रभु को भोग तो भाये ना,

भक्त हठीले हनुमन्त का

बिन तुलसी के पेट भरे ही ना।

तुलसी तो प्रभु का अंग

वो भक्ति स्वरूप स्वयं ही हैं,

जो बन संजीवनी सबके लिये

जीवन को खुशहाल बनाती ना।

हो गमलों में यदि तुलसी माँ

तो घर में अँधेरा होए ना,

वास जो उनमें प्रभु का है

तो घर उजियारे से भर जाये ना।

मन जले दीप

बन हृदय की बाती,

दिल की ज्योति

जगमग करती रहती ना।

000

पूनम

33 टिप्‍पणियां:

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

मैं स्वयम् यह सोच रहा था कि आप कि अनुपस्थिति बढ़ गई है..ख़ैर यह कविता तो श्रद्धावनत होने के लिए है, टिप्पणी करने के लिए नहीं!!बहुत अच्छा!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तुलसी की महिमा बताती बहुत सुन्दर कविता ...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीया पूनम जी
नमस्कार !
क्षमा की तो कोई बात नहीं जी, आपकी प्रतीक्षा सचमुच बहुत की जा रही थी … :)

(वैसे नेट की गड़बड़ी इधर भी बहुत परेशान किये हुए है , स्वास्थ्य की तो थी ही । )


अब आपने कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर हमारी पवित्र संस्कृति को समर्पित इतनी श्रेष्ठ रचना पोस्ट पर लगाई है …
आऽऽहा , अति मनोरम !
मैं शायद पहली बार तुलसी को समर्पित किसी आधुनिक रचनाकार की रचना पढ़ रहा हूं ।
प्रणाम तुलसी मैया !!

और एक दो पंक्ति का उल्लेख नहीं कर रहा , पूरी कविता प्रणम्य है

बहुत बहुत शुभकामनाएं …
- राजेन्द्र स्वर्णकार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

तुलसी कृष्ण-प्रेयसी, नमो नमः।

Patali-The-Village ने कहा…

तुलसी के बारे में सुन्दर जानकारी देती कविता|

बेनामी ने कहा…

तुलसी की महिमा किससे छुपी है भला....
आप चिंता करें ऐसी मजबूरी सभी के साथ कभी न कभी होती ही है...

सूबेदार ने कहा…

आज तो अपने अध्यात्मिक कबिता लिखकर हम सबको आह्लादित कर दिया, बहुत अच्छी जानकारी कबिता की गंभीरता भी है बहुत-बहुत बधाई.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

tulsi ka pavitra bakhaan aapki anupasthiti ko maaf karta hai

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

tulsi ki mahima ki adbhut rachna aur aapki khubsurat sonch ke liye bhut bhut badhai.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

मजा आ गया आपकी ये पोस्ट पढ़ कर.
बहुत सुंदर रचना.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत ही सुंदर लिखी है.... तुलसी की कविता.... और अच्छी रचना पढवाने के लिए कभी देरी नहीं होती है..... इसे साझा करने के लिए आभार .....

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सुन्दर कविता.

Asha Lata Saxena ने कहा…

तुलसी का महत्व बताती सार गर्भित रचना बहुत बहुत
बधाई
आशा

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

वाह, बहुत सुन्दर तरीके से महिमा बखान किये हैं आप ... आभार !

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

पूनम जी ,
कविता पढ़कर मन तुलसी सा सुगन्धित हो गया !
तुलसी की महिमा पर इतनी सुनदर कविता के लिए धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

Sushil Bakliwal ने कहा…

चिर-परिचित तुलसी महिमा में एक और संग्रह । बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Jai Tulsi maiya........:)

waise aapne ek behtareen bhakti kavita rachit ki hai.....:)

राजकुमार सोनी ने कहा…

तुलसी की महिमा अपार है
इसके गुण से तो अब विदेशी कंपनियां भी प्रभावित है

mridula pradhan ने कहा…

bahut dinon per aaeen per saath men bahut sunder kavita bhi laaeen.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

पहले तो इस बात का धन्यवाद कि एक ही गमले में दौनो तुलसी। श्याम तुलसी हमारे इधर बहुत कम देखने को मिलती है। तुलसी का अवतार स्थल ब्रहमा का घर और नभ पिता धरती मां पति श्याम सुन्दर । बिना तुलसीदल के भगवान को भोग हम भी नहीं लगाते है। बहुत सुन्दर बात कि जिस घर में गमले में तुलसीजी बिराजमान हों उस घर में अन्धेरा कैसे हो सकता है । इसके अतिरिक्त औषधीय गुण तो अलग है ही । शाम के वक्त जब तुलसीजी को दीपक रखते है उस वक्त आपकी रचना का पाठ भी किया जाय तो एक विल़क्षण आनन्द की अनुभूति होगी यह सोच कर बिना आपकी अनुमति के इस रचना को अपने डाक्युमेन्ट पर सेव कर लिया है।बहुत बहुत वधाई और धन्यवाद ।

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर तुलसी की महिमा में आपके शब्‍दों ने भावमय कर दिया ...आभार ।

vandana gupta ने कहा…

तुलसी महिमा का खूबसूरत चित्रण्।

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
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अनुपमा पाठक ने कहा…

जय माँ तुलसी!
सुन्दर रचना!

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

आपकी तुलसी पर कविता उत्तम है ,कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य में २० ता .को क्रांति स्वर पर "तुलसी की महत्ता "शीर्षक से मैंने भी एक पोस्ट के माध्यम से तुलसी द्वारा इलाज के नुस्खे दिए हैं.

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

तुलसा महारानी नमो नमो,
हरि की पटरानी नमो नमो!

शुभकामनायें!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

तुलसी की महिमा बयान करती सुन्दर रचना है ... हिन्दू समाज में तो वैसे भी तुलसी माता का बहुत मन है ... अच्छी रचना है .

Meenu Khare ने कहा…

जय माँ तुलसी!
तुलसी की महिमा बताती बहुत सुन्दर कविता ...

ZEAL ने कहा…

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वास जो उनमें प्रभु का है
तो घर उजियारे से भर जाये ना।

सुन्दर कविता !!

.

बेनामी ने कहा…

मन जले दीप
बन हृदय की बाती, सचमुच पूनम जी तुलसी को देखकर मन खिल जाता है ! कविता भी बहुत सुंदर है ! बधाई स्वीकारें !

रचना दीक्षित ने कहा…

तुलसी के बारे में सुन्दर जानकारी, तुलसी का महत्व बताती सार गर्भित रचना. बहुत बहुत बधाई.

Unknown ने कहा…

bachpan se hi mera tulsi ke prti aakarshan raha hai...maa ne kartik maas ke vart bhi khub karayee...gug memories.....mera janampatri ka naam "tulsi" hai.....bhut sundar aapne likha hai....