गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

दीवानगी की हद


मौत आती भी नहीं जां जाती भी नहीं

भंवर में फ़ंसे मांझी सी सांसें अटकी ही रहीं।

तेरे यादों के दिये जलाये हैं हुये

पर तू आस पास नजर आई ना कहीं।

खयालों में डूबा हूं तेरे इस कदर

न यहीं का रहा ना रहा कहीं।

ये दीवानगी की ही हद है शायद मेरी

एक तरफ़ा प्यार मेरा कभी तो जीतेगा सही।

मेरे प्यार की जुस्तजू है प्यार की इन्तहां

तेरे इनकार पर भी एतबार नहीं।

प्यार की ताकत है कोई कच्ची डोर नहीं

खिंची चली आयेगी तू रहे जहां भी कहीं।

धड़कनें देतीं दस्तक दिल के बन्द पट खोल जरा

मुस्कराता सा नजर आऊंगा बंद पलकों से ही देख सही।

तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं कब से

तेरी राहों में हरदम मेरी पलकें हैं बिछी ।

0000

पूनम

36 टिप्‍पणियां:

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

वाह!
दीवानगी गर हद में रही, तो फ़िर उसे दीवानगी कहेगा ही कौन?

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी रचनाओं में गजब का आकर्षण होता है,इक अदृश्य सी डोर खींच लाती है........और ।दिल पर गहरा असर करती है ये........हमेशा आपका बेसब्री के साथ इंतजार होता है...बहुत सुंदर....धन्यवाद।

*गद्य-सर्जना*

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दीवानगी की हद ही कहेंगे इसे।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मौत आती भी नहीं जां जाती भी नहीं
भंवर में फ़ंसे मांझी सी सांसें अटकी ही रहीं।

बहुत खूब ....सच में दीवानगी की हद है यह ....

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

सदियों से ये भाव जस के तस चले आ रहे हैं!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वाकयी हद ही है दीवानगी की ..

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह यही हे दिवानगी, बहुत खुब!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय पूनम जी..
नमस्कार
दीवानगी की हद ही कहेंगे इसे।
बहुत सुंदर सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना| धन्यवाद

संजय भास्‍कर ने कहा…

पूनम जी आपके अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कमना करता हूँ!

OM KASHYAP ने कहा…

बहुत सुन्दर विचार युक्त कविता है |
दीवानगी ........

Mithilesh dubey ने कहा…

ये लाइन एक दम सच्ची सी लगी, अच्छे भाव समेटे बढ़िया रचना .

मौत आती भी नहीं जां जाती भी नहीं
भंवर में फ़ंसे मांझी सी सांसें अटकी ही रहीं।
नारी स्वतंत्रता के मायने

रश्मि प्रभा... ने कहा…

तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं कब से

तेरी राहों में हरदम मेरी पलकें हैं बिछी ।
waah....

Ravi Rajbhar ने कहा…

sabase pahle ek bahut hi pyari rachna ke liye hardik badhai... sach me kaun diwana na ho jaye ise padh kar?

aur dosto ne aapki jaldi thik hone ki baat kahi hai.... meri bhi duwaye yahi hain.
par aapko huwa kya hai....sab thik to hai na.

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

उत्कृष्ट रचना अच्छी लगी.
--पूनम माथुर

सदा ने कहा…

धड़कनें देतीं दस्तक दिल के बन्द पट खोल जरा

मुस्कराता सा नजर आऊंगा बंद पलकों से ही देख सही।

वाह....बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं
कब से तेरी राहों में हरदम मेरी पलकें हैं बिछी
deewanagi ki hadd!!
achchhi lagi..:)

Manjit Thakur ने कहा…

ऊपर से गुड़िया हंसे, अंदर पोलम-पोल,
गुड़िया से है प्यार तो, टांकों को मत खोल

Deepak Saini ने कहा…

उत्कृष्ट रचना
बहुतसुन्‍दर प्रस्‍तुति

Shekhar Suman ने कहा…

वाह..
बहुत खूब...

विशाल ने कहा…

ये दीवानगी की ही हद है शायद मेरी

और

तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं कब से

बहुत खूब.
सलाम.

Sunil Kumar ने कहा…

धड़कनें देतीं दस्तक दिल के बन्द पट खोल जरा
मुस्कराता सा नजर आऊंगा बंद पलकों से ही देख सही। .क्या बात है इसे कहते है जज्बात , बहुत खूब, मुबारक हो

Dr Varsha Singh ने कहा…

ये दीवानगी की ही हद है शायद मेरी
एक तरफ़ा प्यार मेरा कभी तो जीतेगा सही।....

बहुत खूब ....

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुंदर सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना| धन्यवाद|

ashish ने कहा…

दीवानगी की हद तक प्यार पर ऐतबार . सुन्दर भाव और शब्दों में गुंथी अच्छी लगी ये कविता .

BrijmohanShrivastava ने कहा…

क्या बात है जान जाती नहीं मौत आती नहीं मौत भी बेचारी सोचती होगी किसी जिन्दा के पास चले मरे को क्या मारना । कोई पास न हो तो खयालों के दिये जलाना भी जरुरी है इस घर की देखभाल को बीरानियां to है जाले निकल गये तो हिफाजत करेगा कौन । बीरानियों की तरह यादों के दिये भी होना ही चाहिये।उजाले अपनी यादों के हमेशा साथ ही रखना न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जावे। इन्कार पर भी एतवार नहीं एक बहुत अच्छा प्रयोग। दिल के बन्द पट खेाल मुस्कराता ही नजर आउगा। इसे इस तरह भी ले सकते है कि दिल के पट खुल जाने पर वह सांवला सलोना मुरलीवाला मुस्कराता ही दिखेगा।आध्यात्मिक भी और सांसारिक भी। लाजवाब रचना ा।

रचना दीक्षित ने कहा…

प्यार की ताकत है कोई कच्ची डोर नहीं
खिंची चली आयेगी तू रहे जहां भी कहीं।


दीवानगी की हद हो गयी. उत्कृष्ट प्रस्तुति. बधाई सुंदर रचना के लिए.

अभी आपकी तबीयत कैसी है? आशा है अब पूर्ण स्वस्थ्य होंगी आप.

Kailash Sharma ने कहा…

ये दीवानगी की ही हद है शायद मेरी

एक तरफ़ा प्यार मेरा कभी तो जीतेगा सही।

बहुत खूब! बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

vijay kumar sappatti ने कहा…

poonam ji , bahut hi sudnar kavita ke liye badhayi sweekar kare.

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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

भाव पूर्ण पंक्तियाँ हैं.

ये दीवानगी की ही हद है शायद मेरी
एक तरफ़ा प्यार मेरा कभी तो जीतेगा सही।
मेरे प्यार की जुस्तजू है प्यार की इन्तहां
तेरे इनकार पर भी एतबार नहीं।
...ये शेर पसंद आये. कुछ अपनी बात सी लगी.

ज्योति सिंह ने कहा…

तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं कब से

तेरी राहों में हरदम मेरी पलकें हैं बिछी ।
bahut sundar .

Unknown ने कहा…

"तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं कब से तेरी राहों में हरदम मेरी पलकें हैं बिछी"

लाजवाब रचना

Deepak Saini ने कहा…

दीवानगी की हद ही कहेंगे इसे।

बहुत सुंदर रचना| धन्यवाद

वीरेन्द्र जैन ने कहा…

कृप्या आप फेस बुक और ब्लाग पर अपनी दूसरी फोटो डाल लीजिए,यह फोटो बहुत मादक है जो आपकी भाव प्रवण रचनाओं से मेल नहीं खाती

Manoj K ने कहा…

मुस्कराता सा नजर आऊंगा बंद पलकों से ही देख सही

kya khoob kaha hai aapne

बेनामी ने कहा…

आशा से परिपूर्ण हृदय का संवेदन