एक दिन भालू और बिल्ली स्कूल के सामने वाले मैदान मेँ फुटबाल खेल रहे थे।कहीं से
रास्ता भूलकर एक नन्हा चूहा आ गया।चूहे को देखते ही बिल्ली उस पर झपटी और उसे
पंजों से पकड़ लिया।चूहा बेचारा चीँ-चीँ चीखने लगा।भालू ने तुरंत बिल्ली को टोका,“म्याऊं
रानी छोड़ो-----चूहे को छोड़ दो।”
“छोड़
क्यूं दूं?आज मैं इसका नाश्ता करुंगी”—म्याऊं
चहक कर बोली।
“अरे म्याऊं रानी---नाश्ते के लिये और भी शिकार मिल
जायेंगे-----छोड़ो भी उसे।”भालू ने उसे समझाने की कोशिश की।
“चीं---चीँ-----मैं तो आप लोगों के पास दोस्ती करने
आया था।”चूहा चीँ-चीं करके बोला।
“अच्छा चल तुझे छोड़–दूंगी---लेकिन
ये तो बता तेरा नाम क्या है?”म्याऊं रानी ने चूहे से पूछा।
“मेरा
नाम-----तो कुछ है ही नहीं।”चूहा रुआंसा होकर बोला।
“चलो आज से तुम्हारा नाम गोलू हुआ।तुम एकदम गोल मटोल
हो न।अब आज से तुम भी हमारे दोस्त बन गये।”भालू
बोला।म्याऊं रानी ने गोलू को छोड़ दिया।फ़िर तीनों मिल कर फ़ुटबाल खेलने लगे।
एक दिन भालू,म्याऊं
और गोलू के स्कूल में छुट्टी थी।तीनों नदी के किनारे घूम रहे थे।म्याऊं बोली,“भालू
भाई मैं तो इस जंगल में रहते-रहते ऊब गयी हूं।क्यों न हम लोग घूमने के लिए कहीं
बाहर चलें?”
“पर चलोगी कहां?ये भी सोचा है म्याऊं?”भालू
ने पूछा।
“हां ये
तो सोचने वाली बात है।क्यों न हम लोग किसी पहाड़ पर चलें?”म्याऊं
सोचते हुये बोली।
“पर कौन से पहाड़ पर ये भी तो बताओ?” भालू
ने पूछा।
“हम लोग हिमालय पहाड़ पर चलें तो कैसा रहे?”म्याऊं
बोली।
“तुम्हें मालूम भी है हिमालय यहां से बहुत दूर
है।वहां भला हम कैसे जा सकते हैं?”भालू ने प्रश्न
किया।
“सुनो क्यों न हम चल कर दादी मां से पूछें?वो शायद
कोई रास्ता बताएं।”गोलू चूहे ने सुझाया।बस फ़िर क्या था
तीनों चल पड़े दादी मां से मिलने।
दादी मां ने उनकी बात बहुत ध्यान से सुनी।फिर बोली,----“तुम
लोगोँ को चीकू खरगोश की सहायता लेनी चाहिये।”
“चीकू खरगोश----वो हमारी क्या सहायता कर सकता है।”म्याऊं
बोली।
“तुम लोगों को शायद नहीं मालूम चीकू बहुत अच्छा
चित्रकार भी है।”दादी बोलीं ।
“ये तो हमें पता है दादी मां।”पर
उसके चित्रों से हमें क्या मतलब?”भालू ने पूछा।
“अरे
भाई,चीकू को वनदेवी का वरदान मिला है।उसके पास एक ऐसी पेंसिल है जिससे वह सुबह वन
देवी को याद करके जो भी चित्र बनायेगा वो चीज सचमुच सामने आ जायेगी।” दादी
समझाते हुए बोलीं।
“अरे वाह तब तो हम चीकू से कहकर उड़ने वाला हेलीकाप्टर बनवा लें।उसी
से हम हिमालय के पहाड़ पर चलेंगे।”म्याऊं चहकती हुई बोली।
“लेकिन तुम लोग चीकू को भी साथ ले जाना।तभी वो
तुम्हारी सहायता करेगा।”दादी मां ने तीनों को समझाया ।
भालू ने चीकू को
पूरी बात साफ़- साफ़ बता दी।उनकी बात सुनकर चीकू कुछ देर तो सोचता रहा फ़िर बोला, “हूं---काफ़ी
दिनोँ से मैं भी हिमालय पहाड़ पर जाने की सोच रहा था। चलो तुम लोगोँ के साथ तो
घूमने में मजा आ जायेगा।”
बस चीकू खरगोश जुट
गया हेलीकाप्टर बनाने में।कुछ ही देर में उन लोगों का हेलीकाप्टर बन गया।चारों हेलीकाप्टर
पर बैठे और उड़ चले हिमालय पहाड़ की ओर।
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पूनम श्रीवास्तव