रविवार, 15 सितंबर 2019

यात्राएं

फोटो क्रेडिट:हेमंत कुमार 

यात्राएं
ये यात्राएं भी
कितनी अजीब होती हैं।

जैसे हम गुजरते हुए
टेढ़े मेढे रास्तों से
नदी नालों पहाड़ों के
सौन्दर्य को देखते
सराहते,आश्चर्यचकित होते
अपने पीछे छोड़ते हुए
आगे बढ़ते जाते हैं
अपनी अपनी मंजिल की ओर।

ठीक वैसे ही
हमारी जिन्दगी का सफ़र भी
कभी आसान तो कभी कठिन
और दुरूह होता जाता है।

पर ये यात्राएं हमारी
बहुत मददगार होती हैं
जहाँ सफ़र में
हम एक दूसरे को
धकियाते ठेलते झगड़ते
अपनी अपनी जगह पर
कब्ज़ा करने में
जूझते रहते हैं
पर अपने स्वार्थवश
ये नहीं सोचते कि
हमारी इन हरकतों की वजह से
दूसरों को तकलीफ हो सकती है।
तो क्यों न हम सब
इन्हीं टेढ़े मेढे
रास्तों की तरह
जाने अनजानों को अपनाते
गले लगाते
एक दूसरे की मदद करते
अपने सुख दुःख को
एक दूसरे से बाटते
अपनी अपनी समस्याओं
को भी झेलते
हंसते हंसाते इसी तरह
अपनी जिंदगी का
सफ़र पूरा करें।
०००
पूनम श्रीवास्तव


5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-09-2019) को     "मोदी का अवतार"    (चर्चा अंक- 3461) (चर्चा अंक- 3454)  पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

sanu shukla ने कहा…

बेहतरीन

Admin ने कहा…

Nice blog.
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बेनामी ने कहा…

प्रशंसनीय

संजय भास्‍कर ने कहा…

लाजवाब पंक्तियाँ !सुन्दर भावों से सजी शानदार कविता! बधाई!