चल पड़े बाराती लेकर
अपने बंदर मामा
शेरवानी पहनी थी ऊपर
नीचे था पाजामा।
आगे आगे चले बाराती
पीछे मामा जी की कार
धूम धड़ाका बैण्ड बाजा
बजता रहता बार बार।
नाचते गाते चली बारात
पहुंची बंदरिया के द्वार
स्वागत हुआ सभी लोगों का
पूरा हुआ उनका व्यवहार।
जब आई जयमाल की बारी
बंदरिया थी छोटी गोरी
सोचे कैसे माला डालूं
लाल हुये थे गाल।
मामा ने देखा मामी को
चिंता से थी बेहाल
लगा जम्प बंदर मामा ने
डाल दिया वरमाल।
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पूनम श्रीवास्तव