बुधवार, 10 दिसंबर 2008

सोचा न था


हम तो तेरे दिल से उतर जाएँगे ऐसे,
जैसे जिल्द पुरानी किताबों से उतर जाती है,
ये तो सोचा ही न था.

थाम के हाथ हम तो चले सीधी डगर,
राह में नागफनियाँ भी बहुत होती हैं,
ये तो सोचा ही न था.

आंख से आंसू जो टपके तो बने मोती,
ऐसी बातें तो ख्वाबों में ही होती हैं हकीकत में नहीं,
ये तो सोचा ही न था.

कल था क्या और आज हुआ क्या है,
पल ही पल में तकदीर बदल जाती है,
ये तो सोचा ही न था.
०००००००००
पूनम

1 टिप्पणी:

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Poonamji,
bhookh aur soacha na tha donon hee rachnaen bahoot achchhe dhang se likhi gayee hain.barabar likhtee rahen.meree shubhkamnaen.