बुधवार, 10 दिसंबर 2008

भूख


भूख ऐसी ही तो होती है,
जो आव देखती है न ताव,


बस झपट ही तो पड़ती है,
कभी गन्दगी के ढेर में


तो कभी छप्पन भोगों की थाल में
तो कभी बाजारों व कोठों की रौनकों में


फर्क सिर्फ़ इतना है भूख मिटने पर कोई कहता है वाह!!!
तो किसी के दिल से निकलती है आह!!!
००००००००००
पूनम

10 टिप्‍पणियां:

Rajat Yadav ने कहा…

आह क्यों निकलेगी भला, कभी हमें खाने पर बुलाइए. फ़िर देखियेगा कि आह निकलती है या वाह .

Rajat Yadav ने कहा…

आज कुछ नया नहीं लिखा. पहले का कुछ लिखा हुआ, जो डायरी के पन्नों में दबा रह गया हो, निकाल लाइए. :)
कोई पाती प्रेम भरी यदि हो तो वह भी शेयर करें, कसम से मज़ा आ जाएगा.
आज का टिप्स है कि --अपने ब्लॉग लिस्ट में हमें भी थोडी सी जगह दे दीजिये.

Prakash Badal ने कहा…

हर सच की शहादत से मुकर जाता है पेट।
उनकी जूठन तक उतर आता है पेट।

आपका स्वागत है।

Rajat Yadav ने कहा…

कभी-कभार हमारा लिखा भी पढ़ लिया करिए, बहुत ही सुपाच्य लिखता हूँ, वो भी वेजिटेरियन. :)

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

रश्मि प्रभा... ने कहा…

sahi hai....deewana aadmi ko banati hain rotiyaan
bhookh ki vyakhyaa jo ki hai,uski jitni prashansa karun,kam hogi.......wah aur aah ko samajhna ek marm hai,jise aapne shabdon me dhaala hai,ati sundar

Rajat Yadav ने कहा…

आज आप ऑनलाइन थीं, तो मुझे उम्मीद थी कि कोई नई रचना मिलेगी पर ऐसा नहीं हुआ. निराश हुआ. |*_*|

Tum ने कहा…

Thanx poonam ji for visiting blog.nd appreciating the scribbles i do write. thanx a lot.

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

kya kahuin kitna ghera aur kadwa sach likha diya shabd nahi haon.....
bas meri subhkaamnay aapke sath hain.....
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑

Manoj Kumar Soni ने कहा…

बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें .(हटाने के लिये देखे http://www.ucohindi.co.nr )
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr