बुधवार, 29 सितंबर 2010

इम्तहान जिंदगी का


हर कदम पर जिंदगी लेती है इम्तहान

कब कहां किस रूप में ले किसको पता।

उलझनों में इस कदर कर देती है गुमराह

सुलझाते सुलझाते आदमी हो जाता है परेशां।

कभी तो ये जिंदगी लगती रेत का मकां

जो हल्की सी आंधी में भी मिट जाती जाने कहां।

और कभी जिंदगी बन जाती मजबूत पतवार

भंवरों में से भी जूझ बढ़ आगे पा जाती मुकाम।

जिंदगी तो रखती है मौत से भी वास्ता

फ़िर आगे बढ़ा ले जाती है वो अपना कारवां।

जिंदगी को हर तरह से जीना है जिंदादिली का नाम

अजीज मान कर जी लें जिंदगी का हर लम्हां।

0000

पूनम

रविवार, 26 सितंबर 2010

रेशमी फ़ुहार सरीखी बेटियां


बेटी दिवस के अवसर पर मेरा देश की सभी बेटियों को प्यार भरा स्नेह।

रेशमी फ़ुहार सरीखी बेटियां

ईश्वर की एक अनूठी रचना

हरषातीं मन का हर कोना

जब झूमेंगी तो झूमेंगी ही

प्रकृति स्वरूप हैं हमारी बेटियां।


महकती बयार हमारी बेटियां

सावन का शृंगार बेटियां

बारिश की रेशमी फ़ुहार सरीखी

रखती घर खुशहाल बेटियां।


झिलमिल चांद सितारों सी

रोशन करती नाम देश का

फ़िर क्यों न हम भी गर्व करें

ये ही तो हैं आज की बेटियां।


पहले थीं अभिशाप बेटियां

आज बनी वरदान बेटियां

धरा से लेकर अम्बर तक

उड़ान भरती वही बेटियां।


इन्हें न समझो अब कमजोर

ये हैं क्षमता की अटूट डोर

कर्म क्षेत्र या रण क्षेत्र हो

आज सभी में विजयी बेटियां।


बस थोड़ा सा अधिकार चाहतीं

कदम कदम का मेल मांगती

फ़िर इक दिन आगे बढ़कर

बनती देश की शान बेटियां।


ये हमारी प्यारी प्यारी बेटियां

सारे जग की न्यारी बेटियां

जान से प्यारी होती बेटियां

जीवन का संचार बेटियां।

000

पूनम

शनिवार, 18 सितंबर 2010

दिल की लगी

लफ़्ज आ आ के जुबां पे ठहर जाते हैं

कुछ कहने से पहले ही अश्क छलक जाते हैं।

जब भी करती हूं बात करने की कोशिश

या खुदा होंठ थरथरा के ही रह जाते हैं।

ऐसा होता है क्यों ये समझ पाती नहीं

धड़कनें भी दिल की धड़कते ही रह जाते हैं।

पहले खुद को आजमाती हूं ये कमी है क्या कोई

पर ये बातें तो अपने ही बता पाते हैं।

जब भी होगी मुलाकातें उनसे बातें तो होंगी हीं

बात दिल की वो मेरी नजरों से समझ जाते हैं।

बातें दो चार करके जब मैं उनसे लेती हूं रुखसत

कदम आगे न बढ़ के यूं पीछे को ही मुड़ जाते हैं।

पलटती हूं तो उनकी नजरें भी होती हैं इधर ही

शायद इसको ही दिल की लगी कहते हैं।

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पूनम

सोमवार, 13 सितंबर 2010

हिन्दी दिवस

हिन्दी दिवस के अवसर पर सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें।

हिन्दी दिवस

हम हिन्द के वासी हिन्दी हैं,

हर भाषा हमारी अपनी है,

एक दूजे का हाथ थाम कर,

आगे की राह पकड़नी है।


हिन्दी है इक भाषा ऐसी,

जो सरल सहज ही लगती है,

पर आज की नव पीढ़ी इसे,

अपनाना क्यों हीन समझती है।


हर भाषा पर अधिकार रहे,

पर हिन्दी का भी ध्यान रहे,

जन मानस तक पहुंचे यह,

कोशिश हम सबकी यही रहे।


मातृ भाषा मेरी हिन्दी,

जन भाषा भी है हिन्दी,

भारत है ऐसा देश हमारा,

जहां सभी की प्रिय हिन्दी।


हिन्दी दिवस के अवसर पर,

धन्यवाद इसे मैं कहती हूं,

मेरी लेखनी का माध्यम हिन्दी,

इसे आज नमन मैं करती हूं।

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पूनम

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

अक्षर का मतलब------

अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर सभी पाठकों को हार्दिक

शुभकामनायें एवम बधाई।

अक्षर का मतलब------

क ख ग अक्षर नहीं विद्या का भंडार हैं।

यही तो भंडार सच्चे हैं कुबेर से भी बड़े खजाने हैं॥

अक्षर अक्षर मिल कर के शब्द कुछ प्यारे बने।

लिख लिख कर जो देखा तो लगा मोती से लुभावने हैं॥

चुन चुन कर शब्दों को,जब हमने समझ लिया।

तो यूं लगा ये केवल अपने नहीं औरों को भी लुटाने हैं॥

शब्दों की माला पिरो कर गले हमने जब लगा लिया।

यही तो वो बात है जो औरों को समझनी और समझानी है॥

इसी लिये थोड़े जीवन में भी इनकी जरूरत है बहुत।

यही खास धन जो न चोरी हों बस इनके भंडार बढ़ाने हैं॥

नहीं है जिसके पास ये धन उसकी भी कोई मजबूरी है।

कदम बढ़ाकर आगे हमको अक्षर के मतलब बतलाने हैं॥

000

पूनम

बुधवार, 1 सितंबर 2010

हे कृष्ण

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें।

हे कृष्ण

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानम धर्मस्य तदात्मान सृजाम्यहम॥

परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृतम।

धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥

हे कृष्ण!

आज आप

अपने जन्मदिवस की

हार्दिक शुभकामनायें

और बधाई तो स्वीकार करें ही।

परन्तु

मैं पूछना चाहती हूं

आपसे चन्द सवाल

कि जब पूरे देश में

भ्रष्टाचार अनाचार और

गुण्डागर्दी का

खुला ताण्डव हो रहा है।

सत्ता की लालसा में

अपने ही बन्धु बान्धवों को

मार कर

दुर्योधन जैसे लोग

कब तक करते रहेंगे शासन

कब तक होता रहेगा

यूं ही खुले आम

द्रौपदी का चीर हरण

पूरे देश में

साधुजनों का जीवन

दूभर

हो चुका है

चंद रसूखदारों और

खद्दरधारियों के चलते।

तो

ऐसे में सिर्फ़ इतना

बता दीजिये

हे कन्हैया!!!!!!!!!!!!!!!!!!

कब बजेगा आपका पांचजन्य शंख

कब उठेगा आपका सुदर्शन चक्र

दुष्टों का विनाश

और धरती को पाप मुक्त

करने के लिये

कब अवतरित होंगे आप???????

कब?

कब?

आखिर कब?

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पूनम